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लोकरुचि


दीपावली पर घरौंदा बनाने की रही है परंपरा

दीपावली पर घरौंदा बनाने की रही है परंपरा

पटना 17 अक्टूबर (वार्ता) भारतीय संस्कृति में हर पर्व का अपना विशेष महत्व रहा है और जब बात रोशनी के महापर्व दीपावली की हो तो इसका अपना ही अलग महत्व है। दीपावली में जितने जरूरी पटाखे, रंगोली, लक्ष्मी-गणेश की मूर्ति है उतना ही महत्वपूर्ण ..घरौंदा ..है । कार्तिक माह के आरंभ होते ही लोग अपने अपने घरों में साफ सफाई का काम शुरू कर देते हैं। इस दौरान घरों में घरौंदा बनाने का निर्माण आरंभ हो जाता है। घरौंदा ‘घर’ शब्द से बना है। माह के आरंभ से ही सामान्य तौर पर दीपावली के आगमन पर अविवाहित लड़कियां घरौंदा का निर्माण करती है। अविवाहित लड़कियों द्वारा इसके निर्माण के पीछे मान्यता है कि इसके निर्माण से उनका घर भरा पूरा बना रहेगा। हालांकि कई जगहों पर घरौंदा बनाने का प्रचलन दीपावली के दिन होता है । पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, प्रभु श्री राम जब चौदह वर्ष का वनवास काटकर अपनी नगरी अयोध्या लौटे थे उनके आने की खुशी में अयोध्यावासियों ने अपने -अपने घरों में दीपक जलाकर उनका स्वागत किया था। लोगों ने यह माना कि अयोध्या नगरी एक बार उनके आगमन से हीं बसी। इसी परम्परा के कारण घरौंदा बनाकर उसे सजाने का प्रचलन हुआ । घरौंदा में सजाने के लिये कुल्हिया-चुकिया का प्रयोग किया जाता है और उसमें अविवाहित लड़कियां उसमें लाबा ,फरही ..मिष्ठान आदि भरती है इसके पीछे मुख्य वजह रहती है कि भविष्य में जब वह शादी के बाद अपने घर जाये तो वहां भी भंडार अनाज से भरा रहे। कुल्हियां चुकिया में भरे अन्न का प्रयोग वह स्वयं नही करती है और इसे अपने भाई को खिलाती है ।इसके पीछे मुख्य वजह यह रहती है कि घर की रक्षा और उसका भार वहन करने का दायित्व पुरूष के कंधे पर रहता है।


          जहां तक घरौंदे के निर्माण का सवाल है तो इसका निर्माण सामान्यत: मिट्टी से होता है लेकिन मौजूदा समय में लकड़ी, कूट और थरमोकोल के भी घरौंदे का निर्माण किया जा रहा है। घरौंदा से खेलना लड़िकियों को काफी भाता है। इस कारण वह इसे इस तरह से सजाती है जैसे वह उनका अपना घर हो। घरौंदा की सजावट के लिए तरह तरह के रंग-बिरंगे कागज, फूल, साथ ही वह इसके अगल बगल दीये का प्रयोग करती हैं। इसकी मुख्य वजह यह है कि इससे उसके घर में अंधेरा नहीं हो और सारा घर रोशनी कायम रहे। आधुनिक दौर में घरौंदा एक मंजिला से लेकर दो मंजिला तक बनाये जाने की परंपरा है। दीपावली के दौरान ही घर में रंगोली बनाये जाने की भी परंपरा है। दीपावली के दिन घर की साज-सज्जा पर विशेष ध्यान दिया जाता है और रंगोली घर को चार चांद लगा देती है। घर चाहे कितना भी अधिक सुंदर हो यदि रंगोली घर के मुख्य द्वार पर नहीं सजायी गयी तो घर की सुंदरता अधूरी सी लगती है। सामान्य के तौर पर रंगोली का निर्माण चावल, गेंहू, मैदा, पेंट और अबीर से बनाया जाता है लेकिन सर्वश्रेष्ठ रंगोली फूलों से बनायी जाती है। इसके लिये गेंदा और गुलाब के साथ हरसिंगार के पूलों का इस्तेमाल किया जाता है जो देखने में सुंदर तो लगता ही है साथ ही सात्विकता को भी उजागर करता है । सतीश राम वार्ता

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