नयी दिल्ली, 19 फरवरी (वार्ता) केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने देश में निर्माण कार्यों में तेजी से विस्तार को देखते हुए निर्माण और ध्वस्त निर्माण (सीएंडडी) के कचरे के प्रबंध के लिए अधिक कारगर समधान निकाले जाने की आवयकता पर बल दिया है।
श्री पुरी ने यहां इस विषय पर एक कार्यशाला को संबोधित करते हुए सोमवार को कुछ अनुमानों का उल्लेख किया जिसमें कहा गया है कि भारत 2025 तक निर्माण उद्योग के मामले में तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगा। उन्होंने कहा,“हमारी सरकार ने सी एंड डी कचरे के प्रभावी निपटान पर मूल्य श्रृंखला में व्यापक दिशानिर्देश जारी किए हैं।”
उन्होंने कहा, ऐसी प्रौद्योगिकियों की भारी मांग है जो अपशिष्ट में कमी लाएंगी और अपशिष्ट सामग्री के पुनर्चक्रण में सहायता करने में सहायक होंगी।
श्री पुरी ने भारत में सी एंड डी कचरे की चुनौतियों और अवसरों के बारे में कहा, कि दुनिया में जिन स्रोतों से अधिक कचरा निकलता है उनमें निर्माण और निर्माण को ध्वस्त किए जाने की गतिविधियां भी एक बड़ा स्रोत हैं। उन्होंने कहा कि अनुमान के मुताबिक, भारत में निर्माण उद्योग से हर साल लगभग 15-50 करोड़ टन सी एंड डी कचरा निकलता है। इससे अनधिकृत डंपिंग, निपटान के लिए जगह की कमी और अपने आप गल जाने वाले कचरे के साथ ठोस कचरे के अनुचित मिश्रण। जैसी कई चुनौतियाँ सामने आती हैं ।
स्थायी अपशिष्ट प्रबंधन की दिशा में सरकार के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए, मंत्री ने कहा कि 2015 में शुरू किए गए शहरी मिशन , बुनियादी ढांचे के निर्माण और सेवा वितरण के स्वस्थ तरीकों को अपनाने के उपाय सरकार की हरित विकास की दृष्टि के उल्लेखनीय उदाहरण हैं।
ठोस अपशिष्ट प्रबंधन के संबंध में, श्री पुरी ने कहा कि ठोस अपशिष्ट प्रसंस्करण में भारत में दस वर्ष में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। वर्ष 2014 में मात्र 17 प्रतिशत शहरी ठोस कचरे का प्रबंध होता था जो अब 77 प्रतिशत से अधिक स्तर पर पहुंच गया है।
श्री पुरी ने कहा,“अब, हम इन क्षमताओं को सी एंड डी अपशिष्ट सहित अपशिष्ट प्रबंधन के अन्य रूपों की ओर ले जा रहेहैं जिनमें प्लास्टिक कचरा, ई-कचरा और जैव-खतरनाक कचरा भी शामिल है। सरकार ने इन मुद्दों पर विस्तृत दिशानिर्देश जारी किए हैं।”
मंत्री ने बताया कि राष्ट्रीय राजनधानी क्षेत्र में हर रोज औसतन 6300 टन से एसी एंड डी कचरा निकलता है और इसका 78 प्रतिशत हिस्सा प्रसंस्कृत किया जाता है।
मनोहर.संजय
वार्ता