नयी दिल्ली, 14 अक्टूबर (वार्ता) विश्व मानसिक स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर जयपुर रग्स और हैपिनेस फाउंडेशन ने सोमवार को एक करार किया, जिसके तहत इस वर्ष की थीम ‘कार्य स्थल पर मानसिक स्वास्थ्य’ को ध्यान में रखते हुये, दोनों संगठनों ने मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने और कार्यस्थल में खुशहाल वातावरण बनाने के लिये मिलकर काम करने का निर्णय लिया है।
इन संगठनों की आज यहां जारी विज्ञप्ति के अनुसार इस करार पर जयपुर रग्स के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विशाल फांसे और हैपिनेस फाउंडेशन के लुईस गैलार्डो ने हस्ताक्षर किये। इस अवसर पर जयपुर रग्स के अध्यक्ष एन. के. चौधरी और वेलनेस कोड फाउंडेशन के वरिष्ठ सलाहकार के विक्रम रस्तोगी भी उपस्थित थे।
श्री चौधरी ने इस करार की महत्ता को रेखांकित करते हुये कहा, “ हमारा उद्देश्य है कि जयपुर रग्स के सभी कर्मचारी, श्रमिक, आर्टिजंस और स्टेकहोल्डर्स मानसिक और भावनात्मक रूप से समृद्ध हों। जब मानसिक स्वास्थ्य बेहतर होता है, तो कार्य की उत्पादकता में भी वृद्धि होती है। मानसिक रूप से खुशहाल कर्मचारी और सहयोगी, व्यापार में बेहतर परिणाम देते हैं। ”
उन्होंने कहा कि मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल व्यावसायिक संस्थानों के लिये अनिवार्य होनी चाहिये, क्योंकि खराब मानसिक स्वास्थ्य से कार्य उत्पादकता प्रभावित होती है, जिससे संस्थान को नुकसान होता है। इस करार के तहत जयपुर रग्स और हैपिनेस फाउंडेशन मिलकर जयपुर रग्स इंस्टीट्यूट की स्थापना करेंगे, जो मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में उत्कृष्टता केंद्र के रूप में कार्य करेगा। यह संस्थान न केवल जयपुर रग्स के कर्मचारियों और आर्टिजंस को बेहतर मानसिक स्वास्थ्य बनाए रखने के लिये प्रशिक्षण देगा, बल्कि अन्य संस्थानों के लिये भी सेवायें उपलब्ध करायेगा। इसके अलावा, यह केंद्र मानसिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में अनुसंधान, वैचारिक नेतृत्व, कर्मचारी कल्याण और सामुदायिक विकास पर भी कार्य करेगा।
श्री चौधरी ने बताया कि मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाये रखने के लिये आपसी अपनत्व, तनाव को कम करना और व्यक्तिगत विकास को बढ़ावा देना आवश्यक है। यह पहल जयपुर रग्स के भीतर एक सहयोगी और सकारात्मक कार्य वातावरण बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायेगी।
इससे पहले, हैपिनेस फाउंडेशन के लुईस गैलार्डो ने जीवन के संघर्षों के बीच खुशियों के महत्व पर जोर देते हुए कहा, “हम जीवन में संघर्षों से भाग नहीं सकते, लेकिन उन कठिनाइयों के बीच से खुशियां चुराना जरूरी है। यह हमारे मानसिक स्वास्थ्य और कार्य उत्पादकता में सुधार लाता है।”
जयपुर रग्स एक पारिवारिक व्यवसाय है, जो पैतृक ज्ञान की रक्षा करने और ग्रामीण शिल्प कौशल को वैश्विक उपभोक्ताओं के साथ जोड़ने के उद्देश्य से मजबूत हुआ है। मानवीय पहलू को मूल में रखकर कंपनी देश में कारीगरों का सबसे बड़ा नेटवर्क बन गयी है। यह 40,000 ग्रामीण कारीगरों के घरों में समृद्धि लाने के लिये एक उपकरण के रूप में हस्तनिर्मित कालीन की सदियों पुरानी कला का उपयोग करता है, जिनमें से 85 प्रतिशत महिलायें हैं। 1978 में नंद किशोर चौधरी द्वारा केवल दो करघों के साथ स्थापित, अब इसके 7,000 से अधिक करघे हैं और 90 से अधिक देशों में बेचे जाते हैं। आज कंपनी इस पुश्तैनी शिल्प को नयी दृष्टि के साथ प्रदर्शित करने में सक्षम रचनात्मक प्रतिभाओं के साथ सहयोग करके समकालीन कलाकृतियाँ बनाती है।
श्रवण, उप्रेती
वार्ता