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जम्मू-कश्मीर, लद्दाख बने नये केंद्र शासित प्रदेश

जम्मू-कश्मीर, लद्दाख बने नये केंद्र शासित प्रदेश

श्रीलगर/लेह 31 अक्टूबर (वार्ता) देश के प्रथम गृह मंत्री सरदार वल्लभ भाई पटेल के जयंती के मौके पर गुरुवार को जम्मू-कश्मीर और लद्दाख आधिकारिक तौर पर दो केंद्र शासित प्रदेश बन गये।

केंद्र सरकार ने गत पांच अगस्त को कश्मीर से संबंधित संविधान के अनुच्छेद 370 के ज्यादात्तर प्रावधानों को हटाने और राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में लद्दाख और जम्मू-कश्मीर के रूप में विभाजित करने का ऐलान किया था।

गृह मंत्रालय की ओर से बुधवार देर रात जारी अधिसूचना में मंत्रालय के जम्मू-कश्मीर संभाग ने राज्य में केंद्रीय कानूनों को लागू करने समेत कई कदमों की घोषणा की थी। जम्मू-कश्मीर और लद्दाख केंद्र शासित प्रदेशों की अगुवाई उपराज्यपाल (एलजी) गिरीश चंद्र मुर्मू और आर. के. माथुर करेंगे।

यह पहली बार होगा जब किसी राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित किया गया है। इसके साथ जम्मू-कश्मीर के संविधान और रणबीर दंड संहिता का अस्तित्व गुरुवार से समाप्त हो जाएगा। राज्य में सूचना का अधिकार (आरटीआई) , शिक्षा का अधिकार का नियम तथा सीएजी का नियम लागू हो जाएगा।

वहीं, माना जा रहा है कि गत पांच अगस्त से हिरासत में बंद पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, श्री उमर अब्दुल्ला और डॉ. फारुक अबदुल्ला को अपने-अपने सरकारी बंगले खाली करने पड़ेंगे। मिली जानकारी के मुताबिक इनमें से सुश्री मुफ्ती और श्री उमर को एक नवंबर तक बंगला खाली करने का नोटिस दे दिया गया है जबकि कांग्रेस नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री गुलाम नबी आजाद से उनका बंगला खाली करा लिया गया है। अभी तक इन सभी पूर्व मुख्यमंत्रियों को सुरक्षा का हवाला देकर श्रीनगर के अति सुरक्षा वाली जगह गुपकर रोड में आवास आवंटित किया गया था। ये सभी बंगले इन नेताओं को आजीवन के लिए आवंटित किये गये थे। फिलहाल इन सभी को विकल्प के तौर पर यह भी कहा गया है कि जिन लोगों के पास जम्मू और श्रीनगर दोनों जगहों पर सरकारी बंगले हैं, वह दोनों में से किसी एक जगह सरकारी बंगला ले सकते हैं।

अब जम्मू-कश्मीर में अन्य राज्यों के लोग भी जमीन खरीद सकेंगे। विशेष राज्य के दर्जे की वजह से अभी तक वहां दूसरे राज्य का व्यक्ति किसी भी तरह की जमीन नहीं खरीद सकता था। इसके साथ ही पाकिस्तानी नागरिक कश्मीर की लड़की से शादी करने के बाद अब भारत की नागरिकता नहीं पा सकेंगे।

केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में पुडुचेरी की तरह ही विधानसभा होगी, जबकि लद्दाख चंडीगढ़ की तर्ज पर बिना विधानसभा वाला केंद्रशासित प्रदेश होगा। गुरुवार को केंद्रशासित प्रदेश बनने के साथ ही जम्मू-कश्मीर की कानून-व्यवस्था और पुलिस पर केंद्र का सीधा नियंत्रण होगा, जबकि भूमि वहां की निर्वाचित सरकार के अधीन होगी। लद्दाख केंद्र शासित प्रदेश केंद्र सरकार के सीधे नियंत्रण में होगा।

आजादी के वक्त 565 रियासतों को एक सूत्र में पिरोकर एक मजबूत भारत बनाने वाले लौह पुरुष सरदार पटेल के जन्मदिन पर जम्मू-कश्मीर का लद्दाख और जम्मू-कश्मीर के केंद्र शासित प्रदेश के तौर पर अस्तित्व में आना ऐतिहासिक है।

जम्मू-कश्मीर में अब तक राज्यपाल पद था लेकिन अब दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में उप-राज्यपाल होंगे। जम्मू-कश्मीर के लिए गिरीश चंद्र मुर्मू तो लद्दाख के लिए राधा कृष्ण माथुर को उपराज्यपाल बनाया गया है। फिलहाल दोनों राज्यों का एक ही उच्च न्यायालय होगा लेकिन दोनों राज्यों के महाधिवक्ता अलग-अलग होंगे। सरकारी कर्मचारियों के सामने दोनों केंद्र शासित राज्यों में से किसी एक को चुनने का विकल्प होगा।

राज्य में अधिकतर केंद्रीय कानून लागू नहीं होते थे, अब केंद्र शासित राज्य बन जाने के बाद जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दोनों में कम से कम 106 केंद्रीय कानून लागू हो पाएंगे। इसमें केंद्र सरकार की योजनाओं के साथ केंद्रीय मानवाधिकार आयोग का कानून, सूचना अधिकार कानून, एनमी प्रॉपर्टी एक्ट और सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान पहुंचाने से रोकने वाला कानून शामिल है।

जमीन और सरकारी नौकरी पर सिर्फ राज्य के स्थाई निवासियों के अधिकार वाले 35-ए के हटने के बाद केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर में जमीन से जुड़े कम से कम सात कानूनों में बदलाव होगा। राज्य पुनर्गठन कानून के तहत जम्मू-कश्मीर के करीब 153 ऐसे कानून खत्म हो जाएंगे, जिन्हें राज्य स्तर पर बनाया गया था। हालांकि 166 कानून अब भी दोनों केंद्र शासित प्रदेशों में लागू रहेंगे।

राज्य के पुनर्गठन के साथ राज्य की प्रशासनिक और राजनैतिक व्यवस्था भी बदल रही है। जम्मू-कश्मीर में जहां केंद्र शासित प्रदेश बनाने के साथ-साथ विधानसभा बरकरार रहेगी, लेकिन अभ विधानसभा का कार्यकाल छह साल की जगह देश के बाकी हिस्सों की तरह पांच वर्षाें का ही होगा। विधानसभा में अनुसूचित जाति के साथ-साथ अब अनुसूचित जनजाति के लिए भी सीटें आरक्षित होंगी। पहले कैबिनेट में 24 मंत्री बनाए जा सकते थे, अब दूसरे राज्यों की तरह कुल सदस्य संख्या के 10 प्रतिशत से ज़्यादा मंत्री नहीं बनाए जा सकते हैं।

जम्मू कश्मीर विधानसभा में पहले विधान परिषद भी होती थी, वो अब नहीं होगी। राज्य से आने वाली लोकसभा और राज्यसभा की सीटों की संख्या पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर से पांच और केंद्र शासित लद्दाख से एक लोकसभा सांसद ही चुने जाएंगे। इसी तरह से केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर से पहले की तरह ही राज्यसभा के चार सांसद ही निर्वाचित होंगे।

इसके अलावा 31 अक्टूबर के बाद चुनाव आयोग राज्य में परिसीमन की प्रक्रिया शुरू कर सकता है जिसमें आबादी के साथ भौगोलिक, सामाजिक, आर्थिक बिंदुओं पर ध्यान रखा जाएगा। जम्मू-कश्मीर में अब तक 87 सीटों पर चुनाव होते थे जिनमें चार लद्दाख की, 46 कश्मीर की और 37 जम्मू की सीटें थीं। लद्दाख की चार सीटें हटाकर अब केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर की 83 सीटों के साथ परिसीमन होना है।

प्रस्तावित परिसीमन के मुताबिक केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में सात सीटें बढ़ सकती हैं और इन सीटों के बढ़ने पर केंद्र शासित जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में 90 सीटें हो जाएंगी।

संजय, संतोष

वार्ता

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