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झारखंड सरकार का मूलमंत्र ‘सर्वे भवंतु सुखिन:’ : द्रौपदी

झारखंड सरकार का मूलमंत्र ‘सर्वे भवंतु सुखिन:’ : द्रौपदी

रांची 17 जनवरी (वार्ता) झारखंड की राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने आज कहा कि राज्य सरकार किसानों, गरीबों, वंचितों, शोषितों एवं उपेक्षित वर्ग के कल्याण के लिए ‘सर्वे भवंतु सुखिन: सर्वे सन्तु निरामया:’ के मंत्र पर काम कर रही है।

श्रीमती मुर्मू ने विधानसभा के बजट सत्र के प्रथम दिन अपने अभिभाषण में कहा कि राज्य सरकार न्याय के साथ विकास का दृष्टिकोण अपनाते हुये सभी क्षेत्रों एवं वर्गों को साथ लेकर चलने के लिए कृत संकल्पित है। राज्य में विकास की रणनीति समावेशी, न्यायोचित एवं सतत् होने के साथ आर्थिक प्रगति पर आधारित है। सरकार की प्राथमिकता है कि राज्य के सभी लोगों को न केवल मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध हो बल्कि आधारभूत संरचना का भी विस्तार हो। सरकार युवाओं एवं महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के साथ ही उनके लिए उच्च, व्यावसायिक तथा तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विकास की व्यवस्था कर रही है। इन बिंदुओं को समाहित करते हुये सरकार द्वारा सुशासन के कार्यक्रम का क्रियान्वयन किया जा रहा है।

राज्यपाल ने सरकार की उपलब्धियां गिनवाते हुये कहा, “एक विकसित, समृद्ध एवं खुशहाल झारखंड के सपने को साकार करने के दृढ़ संकल्प के साथ सरकार ने बिना समय गंवाये गंभीरता से काम करना प्रारंभ किया। हमने पूर्ववर्ती नीतियों में आवश्यकता के अनुसार बदलाव किये और नई एवं विकासपरक नीतियां बनाई। सरकार की कार्यशैली में अपेक्षित सुधार किये तथा राज्य के तंत्र को दुरुस्त किया। सरकार ने प्राथमिकताएं तय की और सबसे पहले स्वच्छ एवं संवेदनशील प्रशासन, जनभागीदारी, स्वच्छता, भ्रष्टाचार उन्मूलन, सुगम यातायात, बिजली, खेत-खलिहान, सिंचाई, शिक्षा, स्वास्थ्य एवं महिला सशक्तिकरण पर अपना ध्यान केंद्रित किया।”

श्रीमती मुर्मू ने कहा कि विकास के वृक्ष को भ्रष्टाचार की बीमारी से बचाने एवं भ्रष्टाचारमुक्त झारखंड के निर्माण के लिए राज्य सरकार कृत संकल्पित है। उन्होंने कहा कि वामपंथ उग्रवाद की समस्या झारखंड के गठन के पूर्व से ही चली आ रही थी, जो कि राज्य के समेकित विकास में बहुत बड़ी बाधा है। लेकिन, सरकार की आकर्षक प्रत्यर्पण, पुनर्वास एवं पुरस्कार नीति के कारण 200 से अधिक उग्रवादियों को गिरफ्तार किया गया तथा 125 से अधिक नक्सलियों को आत्मसमर्पण कराया गया है। सरकार के सद्प्रयासों का ही परिणाम है कि उग्रवाद प्रभावित जिलों की संख्या 21 से घटकर 19 तथा अति उग्रवाद प्रभावित जिलों की संख्या 16 से कम होकर 13 रह गई है।

सूरज उपाध्याय

रमेश

जारी (वार्ता)

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