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हिंडोले और घटाओं से झूमा ब्रजमंडल

हिंडोले और घटाओं से झूमा ब्रजमंडल

मथुरा, 19 अगस्त (वार्ता) सावन की फुहारों के बीच समूचे ब्रजमंडल में भक्ति मुक्ति की आस में नृत्य कर रही है वहीं विभिन्न आयोजनों से ब्रज का कोना कोना कृष्णमय हो उठा है।

     कुछ मंदिरों में जहां अभी से जन्माष्टमी की तैयारी होने लगी है वहीं अधिकांश मंदिरों में विभिन्न प्रकार के हिंडोले सजाने की होड़ लग गई है। बरसाना हो या नन्दगांव या वृन्दावन सभी जगहों पर तीर्थयात्रियों का हजूम परिक्रमा कर स्वयं को धन्य कर रहा है।

     हिंडोला एक प्रकार का झूला है जो कान्हा को रिझाने के लिए डाला जाता है। इसलिए इसेे अति आकर्षक बनाया जाता है। द्वारकाधीश मंदिर के जन संपर्क अधिकारी राकेश तिवारी ने बताया कि मंदिर में यद्यपि सोने चांदी के विशालकाय हिंडोले डाले गए हैं पर यहां पर भी नित नए हिंडोलें भी ठाकुर को रिझाने को डाले जा रहे हैं। लहरिया घटा पर तो यहां पर नौ हिंडोले डाले जाएंगे। इन हिंडोलों को देखकर भक्त चकाचौंध हो जाता है। इसके अलावा मथुरा हो या वृन्दावन अथवा गोवर्धन या बरसाना सभी स्थानों में भागवत कथा करने के लिए भागवताचार्यों में एक प्रकार की प्रतियोगिता चल रही है।

     महान संत बलरामदास बाबा के अनुसार भक्ति ब्रज में इसलिए नृत्य करती है कि यहां पर ठाकुर की भाव प्रधान सेवा होती है इस भाव प्रधान सेवा के करने में भक्त सुधबुध खो बैठता है तो अधिकांश मंदिरों में बालस्वरूप में सेवा होने के कारण लाला केा रिझाने के लिए विभिन्न प्रकार की सेवा की जाती है। भाव प्रधान सेवा होने के कारण ही कहा गया है कि ’’मुक्ति कहे गोपाल ते, मेरी मुक्ति बताय।ब्रज रज उड़ि मस्तक लगै,मुक्ति मुक्ति होइ जाय।’’

     उन्होंने बताया कि भाव प्रधान सेवा के कारण ब्रज में सावन के महीने में मंदिरों में हिंडोले और घटाएं डाले जाते हैं । हिंडोले में ठाकुर को झुलाते समय मल्हार गाई जाती है, ’’कन्हैया झूले पालना नेक हौले झाेंटा दीजौ’’ बाल स्वरूप में सेवा होने के कारण ही लाला को प्रसन्न करने लिए सोने, चांदी के आकर्षक हिंडोले के साथ ही फूल, पत्ती, फल आदि के हिंडोले डाले जाते हैं। यही नहीं जन्माष्टमी पर तो राधारमण मंदिर वृन्दावन में गोस्वामी वर्ग लाला को दीर्घायु का आशीर्वाद देता है।

स्वामीनारायण मंदिर के सेवायत आचार्य अखिलेश्वर दास  ने बताया कि मंदिर में  बालस्वरूप में सेवा होने के कारण ही ब्रज में यही एक मंदिर है जहां टाफी और चाकलेट का हिंडाला भी बनता है। उन्होंने बताया कि मंदिर में 21 दिन तक डाले जाने वाले हिंडोलों में, स्टेशनरी, बिस्कुट, मेवा, अनाज, घेवर फैनी, बर्तन, फल, फूल,भुट्टे आदि के हिंडोले डाले जा रहे है। हिंडोले की सामग्री का अगला हिंडोला बनने के पहले मंदिर में उपस्थित भक्तों में बांट दिया जाता है।

    भारत विख्यात राजा ठाकुर मंदिर गोकुल के सेवायत आचार्य भीखू महराज ने बताया कि सावन की शुरूवात से ही ठाकुर जी मंदिर में सुरंग हिंडोले में झूलते हैं वर्तमान में मंदिर में घटाएं और हिंडोले डाले जा रहे हैं और विभिन्न प्रकार के मनोरथ में हिंडोले डाले जा रहे हैं। उन्होंने बताया कि जहां 22 अगस्त को पवित्रा का हिंडोला डाला जाएगा वहीं 24 अगस्त को बगीचा में फल फूल का हिंडोला डाला जाएगा।

     केशवदेव मंदिर श्रीकृष्ण जन्मस्थान के जनसंपर्क अधिकारी विजय बहादुर सिंह के अनुसार मंदिर में वर्तमान घटा डालकर सावन का जीवंत प्रस्तुतीकरण किया जा रहा है। यह कार्यक्रम 25 अगस्त को सफेद घटा से समाप्त होगा। इस दौरान मंदिर में हरी,बैंगनी,लाल, काली, गुलाबी घटाएं डाली जा रही है। प्राचीन केशवदेव मंदिर की प्रबंध समिति के अध्यक्ष सोहनलाल शर्मा कातिब ने बताया कि हर सेामवार को मंदिर में विभिन्न रंग की घटा डाली जा रही है जबकि हरियाली अमावस्या से शुरू हुआ हिंडोला उत्सव समाप्त हो गया है और जन्माष्टमी की तैयारी शुरू हो गई है।

 राधाश्यामसुन्दर मंदिर के सेवायत आचार्य कृष्णगोपालानन्द देव गोस्वामी प्रभुपाद ने बताया कि इस मंदिर में घटा महोत्सव चल रहा है जोे 27 अगस्त तक  चलेगा जिसमें प्रत्येक सेामवार को सफेद घटा, मंगल को गुलाबी, बुध को हरी, गुरूवार को पीली, शुक्र को सफेद, शनिवार को नीली, रविवार को लाल, एकादशी को लाल, पूर्णिमा को सफेद एवं संक्रांति को काली घटा डालने का कार्यक्रम निर्धारित है तथा इसी के अनुसार घटा डालकर मंदिर में वर्षा ऋतु का जीवंत वातावरण बनाया जा रहा है, तो राधा बल्लभ में हिंडोला उत्सव की धूम मची हुई है।

    मंदिर के सेवायत गोविन्द लाल गोस्वामी ने बताया कि मंदिर में अभी तक चांदी का हिडोला डाला जा रहा था लेकिन अब से लेकर रक्षाबंधन तक फल, फूल, पत्ती आदि के हिंडोले डाले जाएंगे।

    नन्दभवन मंदिर महाबन के सेवायत आचार्य कन्हैयालाल ने बताया कि मंदिर में एक दिन स्वर्ण हिंडोला,तीन दिन चांदी के हिंडोले डाले जा चुके हैं और अब शेष दिनों में फूल, पत्ती, फल आदि के हिंडोले डाले जाएंगें। यहां के हिंडोलों की विशेषता यह है कि श्रद्धालुओं को हिंडोला झुलाने का अवसर इस शर्त के साथ मिलता है कि हिंडोला झुलाते समय ’’मेरो लाला झूले पालना नेक हौले झोटा दीजो’’ का उन्हें ख्याल रखना होता है।

     इसी क्रम में मुखारबिन्द मंदिर जतीपुरा और दाउ जी मंदिर बल्देव में ठाकुर को दर्पण में झूलाया जा रहा  है जिसमें ठाकुर की प्रतिमा के सामने दर्पण इस प्रकार रखा जाता है कि ठाकुर दर्पण में झूलते हुए नजर आएं क्योंकि इनके विग्रह अचल एवं इतने विशाल आकार के हैं कि उन्हें हिंडोलों में रखना संभव नही है।

     कुल मिलाकर मल्हार गायन और रंगबिरंगी घटाओं के मध्य जब ठाकुर को हिंडोले में झुलाया जाता है तो वातावरण भक्ति रस से सराबोर हो जाता है।

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