राज्य » पंजाब / हरियाणा / हिमाचलPosted at: Jan 31 2019 9:04AM हरियाणा में जींद विस उपचुनाव की मतगणना शुरू
जींद, 30 जनवरी(वार्ता) हरियाणा की जींद विधानसभा सीट के लिये गत 28 जनवरी को हुये उपचुनाव की मतगणना यहां स्थित अर्जुन स्टेडियम के बहु-उहुउदेश्यीय हॉल में कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच आज सुबह आठ बजे शुरू हो गई। इस चुनाव के लिये कुल 21 उम्मीदवारों के बीच मुकाबला है।
मतगणना के लिये 14 टेबल लगाये गये हैं। मतगणना के 13 दौर होंगे तथा परिणाम दोपहर तक आने की सम्भावना है। मतगणना की ताजा जानकारी निर्वाचन आयोग के पोर्टल पर ऑनलाइन भी उपलब्ध रहेगी। मतगणना देखने के लिए हॉल के बाहर बड़ी एलईडी स्क्रीन लगाई गई हैं जहां मीडिया के बैठने की भी व्यवस्था है।
इससे पहले गत 28 जनवरी को हुये मतदान में लगभग 75.77 प्रतिशत मतदाताओं ने 174 मतदान केंद्रों पर अपने मताधिकार का इस्तेमाल किया था। वर्ष 2014 के विधानसभा चुनावों में इस सीट पर 75.91 प्रतिशत मतदान हुआ था और तब यहां से इंडियन नेशनल लोकदल(इनेलो) के डा0 हरिचंद मिडढा जीते थे। डा0 मिडढा के गत वर्ष 26 अगस्त को निधन होने जाने के कारण इस सीट के लिये उपचुनाव कराया गया है।
हालांकि यह केवल एक विधानसभा सीट ही उपचुनाव था लेकिन निकट भविष्य में लोकसभा चुनावों और इस वर्ष के अंत में होने वाले विधानसभा चुनावों के दृष्टिगत इसे राज्य में भावी राजनीतिक दिशा और दशा के रूप में भी देखा जा रहा है। ऐसे में भारतीय जनता पार्टी(भाजपा) और कांग्रेस सरीखे राष्ट्रीय दलों, इनेलो और इससे टूट कर अस्तित्व में आई जननायक जनता पार्टी(जजपा) के अलावा भाजपा सांसद राजकुमार सैनी की नवगठित लोकतंत्र सुरक्षा पार्टी जैसे क्षेत्रीय दलों के लिये यह चुनाव प्रतिष्ठा का सवाल बन गया है और इन्होंने इसे जीतने के लिये जी तोड़ मेहनत की है।
भाजपा ने इस चुनाव में डा0 मिडढा के पुत्र कृष्ण मिडढा को टिकट देकर सहानुभूति वोटों के सहारे इस सीट को अपनी झोली में डालने का दांव चला है। वैसे जाट बहुल इस सीट पर भाजपा कभी भी खाता नहीं खो पाई है और वह राज्य में अपनी सरकार के गत चार साल में किये गये कार्यों के दम पर इस बार खाता खोलने का दावा कर रही है। यह चुनाव राज्य के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की लोकप्रियता की भी परीक्षा है।
कांग्रेस ने कैथल से विधायक और पार्टी के राष्ट्रीय प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला को जींद उपचुनाव में उतार कर न केवल इस मुकाबले को रोचक बनाने के साथ यह भी जता दिया है कि उसके लिये यह चुनाव कितना अहम है। सुरजेवाला अगर यहां से जीतते हैं तो वह राज्य के भावी मुख्यमंत्री पद के दावेदार हो सकते हैं। देखना यह है कि कांग्रेस के इस फैसले को मतदाताओं ने कितना स्वीकार किया है।
इनेलो ने बहुजन समाज पार्टी(बसपा) के साथ गठबंधन में उमेद सिंह रेडू को चुनाव मैदान में उतारा। इनेलो के समक्ष यह चुनाव न केवल अपनी सीट बरकरार रखने बल्कि विधानसभा में विपक्ष के नेता पद को भी बनाए रखने की चुनौती है। डा0 मिडढा और पेहोवा से एक अन्य विधायक जसविंदर सिंह संधू के हाल में निधन के बाद सदन में इनेलो के सदसयों की संख्या 17 रह गई है और यह कांग्रेस के सदस्यों की संख्या के बराबर है। ऐसे में इस सीट पर जीत ही इनेलो का विपक्ष के नेता का पद सुरक्षित कर सकती है।