नयी दिल्ली 05 दिसंबर (वार्ता) स्टेनलेस स्टील विनिर्माता जिंदल स्टेनलेस ने आज ओड़िशा के जाजपुर में स्थित अपने संयंत्र के लिए एक यूटिलिटी-स्केल की निजी नवीकरणीय ऊर्जा परियोजना हेतु नवीकरणीय ऊर्जा कंपनी रिन्यू पावर के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किये।
कंपनी ने आज यहां जारी बयान में कहा कि इस परियोजना के तहत सालाना 70 करोड़ यूनिट बिजली का उत्पादन पवन तथा सौर ऊर्जा प्रौद्योगिकी के मिश्रण के ज़रिये किया जाएगा। उच्च क्षमता उपयोग कारक वाले इस नवोन्मेषी पवन-सौर ऊर्जा के मिश्रित समाधान से अनुबंधित क्षमता की प्रति यूनिट ऊर्जा का उल्लेखनीय रूप से अधिक मात्र में उत्पादन होने की उम्मीद है। रिन्यू पावर इसके साथ बिज़नेस-टू-बिज़नेस (बी2बी) दायरे में अपना चौबीसों घंटे (राउंड द क्लॉक-आरटीसी) आपूर्ति का समाधान लेकर आ रही है, जिसकी शुरुआत इसने यूटिलिटी कंपनियों के लिए पिछले साल की थी। इसके अलावा, नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र की इस सबसे बड़ी कंपनी के साथ भागीदारी से जिंदल स्टेनलेस के लिए अपेक्षित निष्पादन संबधी निश्चितता भी आएगी जो इस स्तर की परियोजना के लिए सबसे महत्वपूर्ण है।
जिंदल स्टेनलेस के प्रबंध निदेशक अभ्युदय जिंदल ने इस गठजोड़ के बारे में कहा, “भारत के कार्बन उत्सर्जन को शून्य पर लाने के लक्ष्य के अनुरूप, जिंदल स्टेनलेस केवल ऊर्जा के नवीकरणीय स्रोतों के ज़रिये ही भावी वृद्धि की योजना को आगे बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध है और यह कदम हमारे संकल्प को और अधिक मज़बूत बनाता है। उम्मीद है कि रिन्यू पावर के साथ हमारी परियोजना वाणिज्यिक परिचालन मई 2024 तक शुरू होगी और इससे सालाना 6.5 लाख टन से अधिक कार्बन उत्सर्जन कमी में मदद मिलेगी। अपने ईएसजी लक्ष्यों को हासिल करने की दिशा में दृढ़ता से आगे बढ़ते हुए हमने वित्त वर्ष 21-22 में विभिन्न पहलों के ज़रिये अपने कार्बन उत्सर्जन में 1.4 लाख टन की कमी की और हम 2050 तक कार्बन उत्सर्जन पूरी तरह से समाप्त करने के लिए प्रतिबद्ध हैं।”
रिन्यू पावर के संस्थापक, अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी सुमंत सिन्हा ने कहा, “हमें भारतीय विनिर्माण क्षेत्र के लिए नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के विकास में जिंदल स्टेनलेस के साथ भागीदारी करने की खुशी है। हमारा मानना है कि इस अनूठे मॉडल से भारत के कॉर्पोरेट जगत में बिजली की खरीद के तरीके में क्रांतिकारी बदलाव आएगा। मुझे भरोसा है कि हमारी भागीदारी से होने वाले पर्यावरणीय और वाणिज्यिक लाभ अन्य विनिर्माण कंपनियों को नवीकरणीय ऊर्जा में सक्रिय रूप से पहल करने के लिए प्रेरित करेंगे। इस नवोन्मेषी पवन-सौर हाइब्रिड प्रणाली से बदलाव के लिहाज़ मुश्किल (हार्ड टू अबेट) क्षेत्र में नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाए जाने की प्रक्रिया में तेज़ी आएगी।”
शेखर
वार्ता