भारतPosted at: Mar 30 2019 11:39PM जेएनयू मामला: अदालत ने आरोप-पत्र को दी मंजूरी
नयी दिल्ली 30 मार्च (वार्ता) दिल्ली की एक अदालत ने शनिवार को कहा कि वर्ष 2016 के जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) देशद्रोह मामले में आरोप पत्र दाखिल करने की मंजूरी मिलना एक प्रशासनिक कार्रवाई है और उसके बिना भी आरोप-पत्र दाखिल किया जा सकता है।
अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट दीपक शेरावत ने मामले की सुनवाई के दौरान इस आशय की टिप्पणी की।
दिल्ली पुलिस ने इससे पहले देशद्रोह के इस सनसनीखेज मामले में आरोप-पत्र दाखिल करने के लिए मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की सरकार से आवश्यक अनुमति प्राप्त करने के लिए अदालत से और अधिक समय मांगा था।
इस मामले में जांच पूरी होने के बाद दिल्ली पुलिस ने 14 जनवरी को जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार और अन्य नेता अनिर्बान भट्टाचार्य तथा सैयद उमर खालिद के खिलाफ आरोप-पत्र दाखिल किया था। गौरतलब है कि नौ फरवरी 2016 को जेएनयू में एक विरोध प्रदर्शन के दौरान कथित तौर पर राष्ट्र-विरोधी नारेबाजी की गयी थी।
दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के उपायुक्त कहा कि आरोप-पत्र दाखिल करने की अनुमति मिलना एक प्रशासनिक कार्रवाई है और जांच एजेंसी ने इस संबंध में केजरीवाल सरकार से अनुरोध किया है। पुलिस उपायुक्त ने कहा कि आरोप-पत्र इसके बिना भी दाखिल किया जा सकता है।
न्यायाधीश ने दिल्ली पुलिस की ओर से दलील सुनने के बाद यह माना कि मंजूरी के संबंध में उसकी भूमिका पूरी हो गई है और यह अब आम आदमी पार्टी-सरकार से इस बारे में पूछेगा।
रवि.संजय
वार्ता
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