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जेएनयू के छात्रों-शिक्षकों का मार्च,पुलिस ने किया लाठी चार्ज

जेएनयू के छात्रों-शिक्षकों का मार्च,पुलिस ने किया लाठी चार्ज

नयी दिल्ली 23 मार्च (वार्ता) देश के 60 शैक्षणिक संस्थाओं को स्वायतत्ता देने के नाम पर निजीकरण करने का आरोप लगते हुए जहावर लाल नेहरु के शिक्षकों, छात्रों तथा पूर्व छात्रों ने आज संसद की ओर मार्च किया लेकिन पुलिस को उन्हें तितर-बितर करने के लिए पानी की बौछारें तथा लाठीचार्ज करना पड़ा, पुलिस ने 12 छात्रों को गिरफ्तार भी किया हालांकि बाद में उन्हें छोड़ दिया।
करीब तीन हज़ार छात्रों शिक्षकों ने हाथ में तख्तियां एवं बैनर लिए जेएनयू से अपराह्न तीन बजे के करीब मार्च शुरू किया। वे मुनिरका और सरोजनी नगर मार्किट पहुंचे तो पुलिस ने उन्हें आगे जाने से रोक दिया। इसके बाद छात्रों तथा शिक्षकों ने जोरदार नारे लगाये और विरोध प्रदर्शन किया।
पुलिस ने प्रदर्शनकारी छात्रों पर पानी की बौछारें करके उन्हें तितर-बितर करने की कोशिश की। इस दौरान पुलिस ने उनपर लाठीचार्ज भी किया जिसमें कुछ छात्र घायल हो गये। इसके बाद प्रदर्शनकारी छात्र और शिक्षक नारेबाजी करने लगे तथा सड़क पर ही धरना-प्रदर्शन करने लगे। करीब दो घंटें तक धरना- प्रदर्शन और नारेबाजी करने के बाद करीब रात नौ बजे छात्र और शिक्षक जेएनयू लौट गये।
इस बीच दिल्ली विश्विद्यालय के शिक्षक और छात्र उस मार्च में भाग लेने के लिए मंडी हाउस तथा संसद मार्ग पर जेएनयू की रैली का इंतज़ार करते रहे। लेकिन जब रैली में भाग लेने वाले लोग संसद मार्ग नहीं आ सके तो ये शिक्षक और छात्र सरोजनी नगर संजय पार्क की तरफ रवाना हो गये। इनमें डूटा के अध्यक्ष राजीव रे, जेएनयू की प्रों जयती घोष, सेवानिवृत शिक्षक कमल नयन काबरा तथा सामाजिक कार्यकर्ता मलयश्री हाशमी शामिल थे।
जेएनयू शिक्षक संघ के बैनर तले ये शिक्षक उच्च शिक्षा में पीछे के दरवाज़े से निजीकरण का विरोध कर रहे हैं। उनका कहना है कि सरकार के इस फैसले से उच्च शिक्षा महंगी हो जायेगी और गरीब तथा सामान्य वर्ग के बच्चों के लिए दाखिला मुश्किल हो जायेगा।
शिक्षक संघ के उपाध्यक्ष देवेन्द्र चौबे और सचिव सुधीर कुमार ने यूनीवार्ता को बताया कि पुलिस ने जब उन्हें रोक दिया तो छात्रों ने वहीं धरना देना शुरू कर दिया लेकिन शिक्षक एवं पदाधिकारी संसद मार्ग पहुँच गए जहाँ पुलिस ने उन्हें फिर रोक लिया।
उन्होंने बताया कि मोदी सरकार शिक्षा का बज़ट को बढ़ा नहीं रही लेकिन स्वायतत्ता की आड़ में जेएनयू, बीएचयू , हैदराबाद विश्विद्यालय तथा अलीगढ़ मुस्लिम विश्विद्यालयओं को निजीकरण के लिए खोल रही है जो बहुत ही घातक कदम है। इसलिए हम इस मार्च को निकलने पर मजबूर हुए।
अरविन्द.आशा
वार्ता

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