नयी दिल्ली 03 अगस्त (वार्ता) उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि भारत की संयुक्त परिवार प्रणाली व्यक्ति को ना केवल सामाजिक सुरक्षा प्रदान करती है बल्कि सांस्कृतिक विरासत को पीढ़ी दर पीढ़ी हस्तांतरित करती है।
श्री नायडू ने सोमवार को रक्षाबंधन के अवसर पर सोशल नेटवर्किंग वेबसाइट फेसबुक पर लिखे एक लेख में कहा कि भारतीय सामाजिक दर्शन में यह खासियत रही है कि परिवार और पारिवारिक मूल्यों और परम्परा को विशेष महत्व दिया जाता है , उनके प्रति विशेष आग्रह रहता है। भारत की संयुक्त परिवार प्रणाली में न केवल ये मूल्य और परंपरिक ज्ञान हर पीढ़ी दूसरी पीढ़ी को विरासत में देती रही है बल्कि यह प्रणाली परिवार के सदस्यों को सामाजिक सुरक्षा भी प्रदान करती है। संयुक्त परिवार की यह परंपरा परस्पर स्नेह, आदर,कर्तव्य बोध तथा त्याग से सींची जाती रही है।
उन्होंने कहा, “ आज रक्षा बंधन है - भाइयों और बहनों के स्नेह सूत्र का उत्सव। यह पर्व भाई और बहन के स्नेह को नयी उमंग, नया जीवन देता है।” उन्होंने कहा कि सदियों से ये मूल्य और परंपराएं हमारे सामाजिक रीति रिवाजों, पर्व त्योहार, लोक परंपराओं, हमारे धार्मिक ग्रंथों में संरक्षित रहे हैं।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारे अमर ग्रंथ रामायण में श्री राम पिता के आदेश के पालन हेतु सहर्ष ही सिंहासन को त्याग कर वनवास स्वीकार कर लेते हैं, तो भरत राम की पादुका को सिंहासन पर रख कर राजपाट चलाते हैं। रामायण का एक महत्वपूर्ण प्रसंग है जिसमें सती अनुसूया सीता को परिवार और ज्येष्ठ परिजनों के प्रति कर्तव्यों के बारे में शिक्षा देती हैं।
सत्या टंडन
जारी वार्ता