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वर्ष 2010 के कुंभ हादसे में मारे गये लोगों को नहीं मिला इंसाफ

वर्ष 2010  के कुंभ हादसे में मारे गये लोगों को नहीं मिला इंसाफ

हरिद्वार 21 नवंबर (वार्ता) उत्तराखंड के हरिद्वार में आयोजित होने वाले आगामी 2021 के महाकुंभ को लेकर तैयारियों शुरू हो गयी हैं लेकिन वर्ष 2010 के कुंभ के मुख्य स्नान पर्व पर यहां एक अखाड़े के नामी संत की गाड़ी से कुचल कर मारे गये लोगों को नौ साल बाद भी इंसाफ नहीं मिल पाया है।

सूचना के अधिकार के अन्तर्गत मांगी गयी सूचना से इसका खुलासा हुआ है। हरिद्वार में 2021 में आयोजित होने वाले महाकुंभ काे लेकर मेला एवं पुलिस प्रशासन कितना संवेदनशील है इसका पता इस बात से चलता है है कि पिछले कुंभ और अर्द्धकुंभ के संबध में सूचना के अधिकार के अन्तर्गत मांगी गयी सूचनाओं का उनके पास संतोषजनक जवाब नहीं है।

सूचना के अन्तर्गत मांगी गयी थी कि 2010 के महाकुंभ में हुई भगदड़ की घटनाओं के संबन्ध में दोषी व्यक्तियों के विरुद्ध क्या कार्यवाही हई और पुलिस जांच में किसे दोषी ठहराया गया है। इसमें में जांच आख्या भी मांगी गयी थी।

कुंभ में हुई लापरवाही और भीड़ पर जीप चढ़ाने वाले व्यक्ति के विरुद्ध नौ साल बाद भी पुलिस न तो ड्यूटी पर तैनात पुलिस कर्मियों के खिलाफ कोई ठोस रिर्पोट बना पायी है और न ही भीड़ में जीप ले जाने वाले साधु संतों के खिलाफ ही कोई आरोप पत्र दाखिल कर पायी है।

गौरतलब है कि 2010 के महाकुंभ में हरिद्वार के ललतारौ पुल के पास मुख्य स्नान पर्व पर संतो का काफिला पुलिस के तीन चक्रीय घेरे को तोड़ता हुआ भीड में जा घुसा था। महामण्डलेश्वर पायलट बाबा के काफिले की जीप ने भीड़ में चढ़ गयी। इन्ही वाहनों में पायलट बाबा भी सवार थे।

इस घटना के बाद भगदड़ मच गयी और कई लेाग भीड़ में दब कर मर गये। इस भगदड़ में पुल की रेलिंग भी टूट गयी और कई लेाग गंगा जी में गिर गये।

पुलिस एवं मेला प्रशासन ने उस समय घटना के लिए महामण्डलेश्वर पायलट बाबा द्वारा बिना अनुमति के यातायात योजना का उल्लंघन कर भीड़ में काफीला ले जाने को आरोप लगाया था। तत्कालीन मुख्यंमत्री ने इस मामले की न्याययिक जांच का भी एलान किया था।

हरिद्वार नागरिक मंच ने इस मामले की जांच कर दोषी लोगों के विरुद्ध कार्यवाही की मांग की है ।

सं. उप्रेती

वार्ता

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