..पुण्यतिथि 29 अप्रैल के अवसर पर..
मुंबई, 28 अप्रैल (वार्ता) बॉलीवुड में केदार शर्मा का नाम एक ऐसे फिल्मकार के तौर पर याद किया जाता है जिन्होंने राजकपूर,भारत भूषण, मधुबाला,गीताबाली,माला सिन्हा और तनुजा सरीखी नामचीन फिल्मी हस्तियों को फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी ।
12 अप्रैल 1910 को पंजाब के नरोअल शहर (अब पाकिस्तान में) जन्में केदार शर्मा ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा अमृतसर से पूरी की। इसके बाद वह नौकरी की तलाश में मुंबई आ गये लेकिन वहां काम नहीं मिलने के कारण वह
अमृतसर लौट आये। इस बीच उन्होंने अमृतसर के खालसा कॉलेज से स्नाकोत्तर की पढ़ाई पूरी की।
वर्ष 1933 में केदार शर्मा को देवकी बोस निर्देशित फिल्म पुराण भगत देखने का अवसर मिला। इस फिल्म से वह इस कदर प्रभावित हुये कि उन्होंने निश्चय किया कि वह फिल्मों में ही अपना कैरियर बनायेगें। अपने इसी सपने को पूरा करने के लिये केदार शर्मा कलकत्ता चले गये। कलकत्ता में केदारशर्मा की मुलाकात फिल्मकार देवकी बोस से हुयी और उनकी सिफारिश से उन्हें न्यू थियेटर में बतौर छायाकार शामिल कर लिया गया। वर्ष 1934 में प्रदर्शित फिल्म ‘सीता’ बतौर छायाकर केदार शर्मा की पहली फिल्म थी। इसके बाद न्यू थियेटर की फिल्म ‘इंकलाब’ में केदार
शर्मा को एक छोटी सी भूमिका निभाने का अवसर मिला।
वर्ष 1936 में प्रदर्शित फिल्म ‘देवदास’ केदार शर्मा के सिने कैरियर की अहम फिल्म साबित हुयी। इस फिल्म में वह बतौर कथाकार और गीतकार की भूमिका में थे। फिल्म हिट रही और केदार शर्मा फिल्म इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में कामयाब हो गये। वर्ष 1940 में केदार शर्मा को एक फिल्म ‘तुम्हारी जीत’ के निर्देशन का मौका मिला लेकिन दुर्भाग्य से यह फिल्म पूरी नहीं हो सकी।
केदार शर्मा ने इसके बाद ने ‘औलाद’ फिल्म को निर्देशित किया जिसकी सफलता के बाद वह कुछ हद तक बतौर निर्देशक अपनी पहचान बनाने में कामयाब हुये। वर्ष 1941 में उन्हें ‘चित्रलेखा’ फिल्म को निर्देशित करने का मौका मिला। फिल्म की सफलता के बाद केदार शर्मा बतौर निर्देशक फिल्म इंडस्ट्री में स्थापित हो गये। इन सबके साथ ही फिल्म चित्रलेखा का स्नान दृश्य बहुत चर्चित हुआ था जो फिल्म अभिनेत्री मेहताब पर फिल्माया गया था। इस फिल्म के बाद मेहताब दर्शको के बीच काफी लोकप्रिय हुयी थी लेकिन फिल्म के शुरूआत के समय मेहताब एक स्नान दृश्य के फिल्मांकन के लिये तैयार नहीं थीं।
केदार शर्मा ने जब मेहताब से स्नान दृश्य के फिल्मांकन का प्रस्ताव रखा तो मेहताब बोली “यह सीन आप दर्शकों के लिये रखना चाहते है या सिर्फ अपनी खुशी के लिये” केदार शर्मा ने तब मेहताब को समझाया “देखो सेट पर अभिनेत्री और निर्देशक का रिश्ता पिता पुत्री का होता है”। केदार शर्मा की यह बात मेहताब के दिल को छू गयी और उसने केदार शर्मा के सामने यह शर्त रखी कि दृश्य के फिल्मांकन के समय सेट पर केवल वहीं मौजूद रहेगें।
वर्ष 1947 में केदार शर्मा ने नीलकमल के जरिये राजकपूर को रूपहले पर्दे पर पहली बार पेश किया। राजकपूर इसके पूर्व केदार शर्मा की यूनिट में क्लैपर बॉय का काम किया करते थे। वर्ष 1950 में केदार शर्मा ने फिल्म बावरे नैन का निर्माण किया और अभिनेत्री गीता बाली को पहली बार बतौर अभिनेत्री काम करने का अवसर दिया।
वर्ष 1950 में ही केदार शर्मा की एक और सुपरहिट फिल्म ‘जोगन’ प्रदर्शित हुयी। फिल्म में दिलीप कुमार और नरगिस मुख्य भूमिका में थे। केदार शर्मा की यह विशेषता रहती थी कि जिस अभिनेता,अभिनेत्री के काम से वह खुश होते उसे पीतल की दुअन्नी देकर सम्मानित किया करते। राजकपूर, दिलीप कुमार,गीताबाली और नरगिस को यह सम्मान प्राप्त हुआ था।
केदार शर्मा ने कई फिल्मों में अपने अभिनय से भी दर्शकों का दिल जीता। इन फिल्मों में इंकलाब,पुजारिन,
विद्यापति,बड़ी दीदी,नेकी और बदी शामिल है। उन्होंने कई फिल्मों के लिये गीत भी लिखे। केदार शर्मा ने बच्चों के लिये भी कई फिल्में बनायी। इनमें जयदीप,गंगा की लहरें,गुलाब का फूल,26 जनवरी,एकता,चेतक,मीरा का चित्र,महातीर्थ और खुदा हाफिज शामिल है।
लगभग पांच दशक तक अपनी फिल्मों के जरिये दर्शकों के दिल पर राज करने वाले महान फिल्मकार केदार शर्मा 29 अप्रैल 1999 को इस दुनिया को अलविदा कह गये।