नयी दिल्ली, 25 जनवरी (वार्ता) कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने देशवासियों को गणतंत्र दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ एवं बधाई देते हुए सभी नागरिकों से संविधान और संवैधानिक संस्थाओं को मजबूत करने की अपील की है।
श्री खड़गे ने अपने संदेश में कहा,“हमारा संविधान ही हमारे देश की आत्मा है। संविधान निर्माताओं ने न्याय, समानता, आज़ादी, परस्पर भाईचारा, धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद की मूल भावनाओं को आधार बनाकर इस देश के नागरिकों को समान अवसर एवं समान सुरक्षा प्रदान किया। यही हमारे लोकतंत्र की नींव है और आज हमें सबसे ज़्यादा ज़रूरत संविधान के इन्ही बुनियादी सिद्धांतों को सुरक्षित करने की है।”
उन्होंने कहा कि जिन लोगो ने भारतीय संविधान पर कभी यक़ीन नहीं किया। कभी इसका सम्मान नहीं किया। संविधान के विरूद्ध ही बात की और कार्य किये। आज वही लोग हर एक संवैधानिक संस्थानों को कमज़ोर करने में जुटे हुए हैं। पिछले दरवाज़े से चुनी हुई सरकारों को गिराते हैं। संस्थाओं का दुरुपयोग कर विपक्ष को डराते- धमकाते हैं, झूठे मुक़दमों में फँसाते हैं। अपने अरबपति मित्रों को देश की संपत्ति बेचते है। उन्हीं की मदद से मीडिया को अपने चंगुल में करने की कोशिश कर रहे हैं जिससे सरकार की सच्चाई लोगों के सामने उजागर ना हो पाए। जानबूझ कर न्यायपालिका से टकराव करने के लिए हमले करते हैं। विश्वविद्यालयों में छात्रों के बीच नफ़रत का बीज बोया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि हर उस संस्थान को जो स्वतंत्र रूप से संविधान के अनुरूप चल रही थी, उसमें अपने लोगों को बैठा कर उसे अपने वश में करने का षड्यंत्र जारी है। महँगाई, बेरोज़गारी और आर्थिक असमानता के आँकड़े मोदी सरकार की विफलताओं की कहानी स्पष्ट शब्दों में बयान कर रहे हैं।
काँग्रेस नेता ने कहा कि दलित, आदिवासी और पिछड़े समाज को कमजोर करने की सोची समझी साज़िश चल रही है। ग़रीबों को उनके अधिकारों से वंचित किया जा रहा है।भाई को भाई से , एक धर्म के लोगों को दूसरे धर्म के लोगों से, एक जाति के लोगों को दूसरी जाति के लोगों से, एक समुदाय के लोगों को दूसरे समुदाय से लड़ाने का काम चल रहा है। प्रधानमंत्री और उनकी सरकार को भाषण, कैंपैग्निंग और चुनाव के अलावा किसी बात से मतलब नहीं है।
उन्होंने कहा कि वर्ष 2024 भारतीय गणतंत्र अपने 75 वें वर्ष में प्रवेश करेगा। इसलिए मैं आप से अपील करता हूँ कि आइये हम सब मिलकर अपने संविधान और संवैधानिक संस्थानों को मज़बूत बनाएँ। न्यायपालिका पर हो रहे आक्रमण के विरोध में खड़े हों। ग़रीबों और वंचितों के अधिकारों के सुनिश्चित करें और भारत को एक सुनहरे भविष्य की ओर ले जायें।
अभिनव.संजय
वार्ता