चंडीगढ़, 05 फरवरी(वार्ता) हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने यमुना नदी और गुरुग्राम नहर में दिल्ली से अत्यधिक प्रदूषित पानी छोड़े जाने पर गहरी चिंता व्यक्त की है।
श्री खट्टर ने इस सम्बंध में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखकर उनसे इस मामले में व्यक्तिगत रूप से हस्तक्षेप करने का अनुरोध किया है। उन्होंने हरियाणा सरकार के सभी सम्बन्धित विभागों को निर्देश दिये कि वे यह सुनिश्चित करें कि यमुना नदी और गुरुग्राम नहर में दूषित पानी अथवा कचरा न छोड़ा जाए।
पत्र में कहा गया है कि यमुना नदी सोनीपत के पल्ला गांव से दिल्ली में प्रवेश करती है और फरीदाबाद जिले में स्थित बसंतपुर गांव में ओखला हैड के निकट हरियाणा में पुन: प्रवेश करती है। यह दिल्ली के क्षेत्र में 52 किलोमीटर की दूरी तय करती है और इस दौरान इसमें 60 से अधिक नाले गिरते हैं जिनमें उद्योगों अथवा बस्तियों का गंदा पानी अथवा कचरा होता है। उन्होंने कहा कि इससे यमुना नदी हरियाणा में पुन: प्रवेश करने से पहले अत्यंत प्रदूषित हो जाती है।
श्री खट्टर ने कहा है कि जुलाई से दिसम्बर 2018 के दौरान बसंतपुर गांव में यमुना के पानी की बॉयो केमिकल ऑक्सीजन डिमांड 45-46 मिलीग्राम प्रति लीटर तक पहुंच गई जबकि पानी में इसकी सीमा तीन मिलीग्राम प्रति लीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए। इसी प्रकार, गुरुग्राम नहर, जो मेवात क्षेत्र में सिंचाई का मुख्य साधन है उसमें बॉयो केमिकल ऑक्सीजन डिमांड इसी अवधि में 32 से 45 मिलीग्राम प्रति लीटर तक पहुंच गई।
उन्होंने कहा कि यह गहरी चिंता का विषय है, क्योंकि यमुना नदी और गुरुग्राम नहर का अत्यधिक दूषित पानी गुरुग्राम, फरीदाबाद, पलवल और नूह जिलों के लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है। यही नहीं, इससे इन जिलों में कृषि पैदावार भी बुरी तरह प्रभावित हो रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि दिल्ली सरकार यह सुनिश्चित करे कि केवल उपचारित पानी ही यमुना नदी में डाला जाए।