नयी दिल्ली, 25 दिसंबर (वार्ता) करोड़ों लोगों के दिल पर राज करने वाले सदाबहार रोमांटिक गायक किशोर कुमार ने ग्यारह वर्ष की उम्र में ही 1940 में बनी फिल्म बंधन से अपनी गायकी की शुरुआत एक कोरस से की थी और उनकी जन्म की दो तारीखें इंदौर के काॅलेज में दर्ज थीं। इतना ही नहीं उन्होंने 12 ऐसी फिल्मों में काम किया जो कभी न तो पूरी हुईं और न ही रिलीज़ हो पाईं। इस अमर गायक के बारे में कमल धीमान नामक फिल्म पत्रकार ने अंगरेजी में लिखी अपनी नयी पुस्तक ‘मैं ही झुमरू एक्टर किशोर कुमार’ में ऐसी कई दुर्लभ जानकारी दी है जो अब तक किशोर प्रेमियों को आम तौर पर पता नहीं थी। किशोर कुमार पर हिन्दी में पहले भी एक पुस्तक लिख चुके श्री धीमान ने यूनीवार्ता को बताया कि पहली बार किशोर कुमार ने इंदौर क्रिश्चियन कालेज में 21 जून 1946 को प्रथम वर्ष में दाखिले के फॉर्म में अपना जन्मदिन 04 अगस्त 1930 लिखा था लेकिन 09 जुलाई 1947 को उसी कालेज के द्वितीय वर्ष के दाखिले के फॉर्म में अपना जन्मदिन 15 मार्च 1928 लिखा था। उनके प्रमाण पत्र में जन्मतिथि 04 अगस्त 1930 ही लिखा हुआ है और उसकी फोटो कॉपी उस किताब में छपी है लेकिन काॅलेज के दूसरे वर्ष में किशोर कुमार ने अपनी जन्मतिथि 15 मार्च 1928 बताई है ऐसे में यह सवाल उठता है कि क्या उन्होंने स्कूल में ही अपनी उम्र दो वर्ष कम तो नही लिखाई लेकिन इसके बारे में इन दोनों फॉर्म की छाया प्रति पहली बार किसी पुस्तक में प्रकाशित हुई है लेकिन जन्म तिथि में यह परिवर्तन क्यों हुआ ,इसकी जानकारी आज तक किसी के पास नहीं है। श्री धीमान ने कहा कि उन्होंने काॅलेज के अधिकारियों और किशोर कुमार के परिजनों से भी पूछा लेकिन उनके पास इस परिवर्तन की जानकारी नहीं थी। आज तक सब लोग 04 अगस्त को ही उनका जन्मदिन मनाते हैं। किशाेर कुमार पढ़ाई में अच्छे नहीं थे और काॅलेज में तीसरे वर्ष फेल हो जाने कारण आगे की पढ़ाई जारी नहीं रख सके और अपने बड़े भाई अशाेक कुमार के पास मुंबई चले गये। किताब के अनुसार किशोर कुमार ने करीब तीन हज़ार गाने गाये, पंद्रह फिल्में बनायीं जिनमें 07 अधूरी रहीं, 12 फिल्में निर्देशित की जिनमें 04 नहीं बन सकी और 12 ऐसी फिल्मों में काम किया जो रिलीज़ ही नहीं हो पाई। किशोर कुमार ने पहली महिला संगीतकार सरस्वती देवी के निर्देशन में बंधन फिल्म में कोरस में चल चल रे नौजवान नमक गाना बाल कलाकार के रूप में गया था लेकिन 1946 में शिकारी फिल्म में दो गायकों के साथ पहली बार बांका सिपहिया घर जाये गाना गया था जिसके संगीतकार एस डी बर्मन थे । इसी फिल्म में ओ रंगीला रे नामक समूह गीत पहली बार किशोर कुमार पर फिल्माया भी गया था। उन पर कुल 296 गाने हिन्दी में फिल्माये गए थे इनमें कुछ गाने मन्ना डे और रफ़ी ने भी गाये थे। उन्होंने कुल 103 फिल्मों में काम किया जिनमे चार बंगला फिल्म थी जिसमे पहली बार अभिनेता वह 1948 में बनी फिल्म सती विजय में बने जो एक आध्यात्मिक फिल्म थी लेकिन उसमे उन्होंने कोई गाना नहीं गया था । उन्होंने पहला गाना मरने की दुआएं क्यों माँगी 1948 में बनी फिल्म जिद्दी में गया था जिसके हीरो देवानंद थे । संगीत खेमचंद्र प्रकाश का था। किशोर कुमार ने अपने बैनर की 15 फिल्मों की पटकथा भी लिखी थी जिनमे सात पुरी नहीं हुई उन्होंने खुद 24 गाने भी अपने बैनर की फिल्मों के लिए लिखे थे । उन्होंने अपने ज़माने की 48 अभिनेत्रियों के साथ काम किया था। इनमें नीरू, रजनी ,शाहिदा ,सुधा शर्मा ,शीतल श्यामली, रजनी ,गंगा ,आशा नाडकर्णी और चंचल जैसी अभिनेत्रियाँ भी थी जिनका नाम भी लोगों ने सुना नहीं होगा। आठ बार फिल्म फेयर अवार्ड जीतने वाले किशोर कुमार को 19 बार इस अवार्ड के लिए नामांकित भी किया गया था लेकिन उन्हें यह पुरस्कार नहीं मिला । किताब में और भी कई नयी और दुर्लभ जानकारियां भी हैं। किशोर कुमार ने छह फिल्मों में खुद संगीत निर्देशन दिया और छह बार दोहरी भूमिकाएं निभायीं थीं। उन्होंने एक फिल्म ‘बढ़ती का नाम दाढ़ी’ में काम किया जिसके लिये उन्होंने फीस भी नहीं ली। उन्होंने 61 फिल्म निर्देशकों के साथ काम किया और सबसे अधिक नौ बार ओ पी नैयर के संगीत निर्देशन में गाना गाया गया। अरविन्द, यामिनी वार्ता