पटना, 28 जून (वार्ता) बिहार के राज्यपाल लालजी टंडन ने जैन साहित्य को सत्य, अहिंसा, करूणा का संदेश देने वाला बताया और कहा कि संपूर्ण जैन साहित्य तथा प्राकृत, पालि, संस्कृत आदि भाषाओं में संकलित जैन धर्म-दर्शन की महत्वपूर्ण ज्ञान-संपदा को संचित किया जाना बेहद जरूरी है।
श्री टंडन की अध्यक्षता में आज राजभवन सभाकक्ष में प्राकृत जैनशास्त्र और अहिंसा शोध संस्थान, वैशाली की अधिष्ठात्री परिषद् की बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि जैन साहित्य सत्य, अहिंसा, करूणा, प्रेम आदि का संदेश देने के साथ-साथ प्रकृति के साथ मनुष्य की अंतरंगता को महत्वपूर्ण मानते हुए पर्यावरण-संतुलन कायम रखने की प्रेरणा देता है। उन्होंने कहा कि ‘जैन दर्शन और साहित्य की पर्यावरण-चेतना’ विषय पर गंभीरता से शोध होना चाहिए। उन्होंने कहा कि आज पर्यावरण संतुलन पूरी दुनियां के लिए चिन्ता का विषय बना हुआ है। ऐसे समय में भगवान महावीर एवं जैन साहित्य के संदेश मनुष्य में पर्यावरण-चेतना विकसित करने की दृष्टि से परम प्रेरणादायी सिद्ध होंगे।
राज्यपाल ने कहा कि जैन समाज एवं जैन साधक-संत वैशाली में भगवान महावीर की स्मृति में संचालित ‘प्राकृत जैनशास्त्र और अहिंसा शोध संस्थान’ के सर्वतोन्मुखी विकास के लिए काफी बढ़-चढ़कर सहयोग कर सकते हैं। इस संस्थान का विकास केवल सरकारी सहयोग पर ही निर्भर नहीं होना चाहिए। उन्होंने कहा कि जैन-समाज के समृद्ध तथा भगवान महावीर में अटूट आस्था रखनेवाले कई श्रद्धालु इस संस्थान के सुदृढ़ीकरण हेतु अपनी सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं, बशर्ते उन्हें लगे कि यह संस्थान अपनी जीवंतता और सक्रियता से जैन साहित्य और उसके संदेशों को जन-जन तक पहुँचाने में अपनी तत्परता दिखा रहा है।
सतीश
जारी वार्ता