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झूठ का कोई जीवन नहीं होता , मोदी के आलोचकों पर बरसे जावड़ेकर

झूठ का कोई जीवन नहीं होता , मोदी के आलोचकों पर बरसे जावड़ेकर

तिरुवनंतपुरम 05 फरवरी (वार्ता) वरिष्ठ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नेता एवं पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आलोचकों पर देश के लोकतंत्र, संघवाद और विविधता पर खतरे की झूठी कहानी फैलाने का आरोप लगाते हुए कहा कि जो लोग झूठ का सौदा कर रहे हैं उन्हें याद रखना चाहिए कि झूठ का कोई जीवन नहीं होता है।

श्री जावड़ेकर यहां मातृभूमि इंटरनेशनल फेस्टिवल ऑफ लेटर्स-2023 के चार दिवसीय सम्मेलन के समापन दिवस पर ‘भारत की पुनर्कल्पना-मेरे विचार’ संगोष्ठी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा , “भारत एक जीवंत लोकतंत्र है और प्रणाली के सभी मूलभूत तत्व मजबूत और सुरक्षित हैं। आप एक बार , दो बार या तीन बार झूठ बोल सकते हैं , लेकिन झूठ का कोई जीवन नहीं होता है।”

उन्होंने कहा , “ हम सभी की समृद्धि में विश्वास करते हैं। हम एक दूसरे से प्यार और सम्मान करते हैं। नागरिकों के साथ धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता है, क्योंकि इस समावेशी दृष्टि को देश के सभ्यतागत आदर्शों में देखा गया है, जिस पर प्रत्येक भारतीय को गर्व होना चाहिए।” उन्होंने जोर दिया कि वर्ष 2014 में भाजपा के सत्ता में आने के बाद भले ही देश ने अर्थव्यवस्था सहित सभी महत्वपूर्ण क्षेत्रों में उल्लेखनीय प्रगति की है, लेकिन कांग्रेस और कम्युनिस्ट पार्टियां भारत को विफल राष्ट्र के रूप में पेश करने की भरसक कोशिश कर रहे हैं।

भाजपा नेता ने कहा , “ हम 90 करोड़ मतदाताओं के साथ एक मजबूत लोकतंत्र हैं, जिनमें से 70 प्रतिशत से अधिक अपने मताधिकार का प्रयोग करते हैं। नेताओं और पार्टियों के बारे में उनकी धारणा के आधार पर लोग जानते हैं कि वे किसे चुनना चाहते हैं और किसे पराजित करना चाहते हैं। केंद्र में वर्ष 2014 से हमारी पूर्ण बहुमत की सरकार है।” उन्होंने उन आरोपों को खारिज किया कि और गैर-भाजपा शासित राज्यों के साथ धन के आवंटन में भेदभाव किया जा रहा है।

उन्होंने प्रधानमंत्री की आलोचना करने वालों पर एक निराशाजनक तस्वीर बुनने का आरोप लगाया। उन्होंने सवालिया लहजे में कहा , “ मुझे नहीं पता कि वर्ष 2024 के चुनाव के बाद वे क्या करेंगे? कुछ ने प्रधानमंत्री पद के लिए एक कार्यकाल निर्धारित करने के लिए संवैधानिक संशोधन का सुझाव देने की हद तक भी गए हैं। क्या उन्होंने यह जवाहरलाल नेहरू या इंदिरा गांधी के दिनों में ऐसा कुछ कहा था।”

केंद्रीय बजट 2023 के चुनावोन्मुख होने संबंधी सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि बजट राष्ट्र की प्रगति और लोगों के कल्याण के लिए है, न कि चुनावी भाषण के लिए।

अशोक,आशा

वार्ता

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