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भगवान महावीर का जीवन समकालीन दुनिया के लिए महत्वपूर्ण सीख : उपराष्ट्रपति

भगवान महावीर का जीवन समकालीन दुनिया के लिए महत्वपूर्ण सीख : उपराष्ट्रपति

हैदराबाद, 17 अप्रैल (वार्ता) उपराष्ट्रपति एम. वेंकैया नायडू ने कहा है कि भगवान महावीर के अहिंसा, सत्य और सार्वभौमिक करुणा के संदेशों ने सच्चाई और ईमानदारी का मार्ग प्रशस्त किया है तथा उनके उपदेशों की आध्यात्मिक रोशनी एवं नैतिक गुण सभी लोगों को शांति, सद्भाव एवं मानवता के लिए प्रगति के प्रयास के लिए प्रेरित करते रहेंगे।

श्री नायडू ने आज हैदराबाद में जैन सेवा संघ की ओर से महावीर जयंती पर आयोजित भगवान महावीर जन्म कल्याणक महोत्सव के दौरान सभा को संबोधित करते हुए कहा कि मौजूदा समय के गंभीर सवालों के कुछ जवाब भगवान महावीर के दर्शन, सिद्धांतों और शिक्षाओं में प्राप्त हो सकते हैं। भगवान महावीर के जीवन और जैन धर्म के दर्शन में समकालीन दुनिया के लिए कई महत्वपूर्ण सीख हैं तथा वह पुथ्वी के सबसे उत्कृष्ट और प्रतिष्ठित आध्यात्मिक गुरुओं में से एक थे।

उन्होंने कहा कि जैन धर्म ने भारत के आध्यात्मिक विकास में बहुत योगदान दिया है तथा सत्य, अहिंसा एवं शांति के आदर्शों के प्रति भारत की अटूट प्रतिबद्धता को मजबूत करने में मदद की है। उपराष्ट्रपति ने भारत की गौरवशाली प्राचीन सभ्यता का उल्लेख करते हुए कहा कि भारत कई प्रकार से दुनिया में अग्रणी देश था। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया की सांस्कृतिक राजधानी था, जो प्रेम, शांति, सहिष्णुता और भाईचारे के उच्चतम मानवीय मूल्यों और गहन ज्ञान और ज्ञान का स्रोत और दुनिया के लिए विश्वगुरु था।

श्री नायडू ने कहा कि हम एक अराजक समय में रह रहे हैं जहां दुनिया एक तरफ आतंकवाद, उग्रवाद और गृहयुद्धों जैसे कई रूपों में हिंसात्मक लड़ाई लड़ रही है और दूसरी ओर संसाधनों के अनियंत्रित दोहन, असंतुलित और निम्न ढंग से बनाई गई विकास योजनाओँ के दुष्परिणामों से जूझ रही है। उन्होंने सावधान किया कि "हमें या तो अपने जीने के तरीके को बदलना होगा या अपने कार्यों के अपरिहार्य परिणामों का सामना करने के लिए तैयार रहना होगा।"

उपराष्ट्रपति ने कहा कि कुछ लोग देश और दुनिया के सामाजिक ताने-बाने को कमजोर करने के लिए आतंकवाद में लिप्त हैं। उन्होंने इच्छा जताई कि सभी देश एकजुट होकर आतंकवाद के खतरे से लड़ें। उन्होंने लोगों से शांति का प्रचार करने और अभ्यास करने का आग्रह किया क्योंकि यह प्रगति के लिए एक पूर्व शर्त है। उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व आज समय की आवश्यकता है।

उपराष्ट्रपति ने कहा कि सामाजिक व्यवस्था और प्राकृतिक संसाधनों के मामले में हमें जो कुछ भी विरासत में मिला है, हम केवल उसके संरक्षक हैं। उन्होंने कहा कि “यह हमारा कर्तव्य है कि हम उन्हें सर्वश्रेष्ठ परिस्थितियों में अपनी संतति को सौंपें जिससे कि जीवन की निरंतरता के लिए बाधित न हो”

इस अवसर पर श्री जैन सेवा संघ के अध्यक्ष विनोक कीमती, श्री जैन सेवा संघ के महासचिव योगेश सिंघी, भगवान महावीर जनम कल्याणक महोत्सव के मुख्य संयोजक अशोक बेरमिच्छा, श्री जैन सेवा संघ के संयोजक और समन्वयक प्रवीण पंड्या और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

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