लखनऊ 30 दिसम्बर(वार्ता)उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि साहित्यकार को समाज की ज्वलन्त समस्याओं को रचनात्मक दिशा देने का प्रयास करना चाहिए, जिसमें व्यापक लोक कल्याण और राष्ट्र कल्याण का भाव निहित हो।
श्री योगी ने सोमवार को यहां उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान के 43वें स्थापना दिवस के अवसर पर आयोजित सम्मान समारोह को संबोधित करते हुये कहा कि साहित्य समाज का दर्पण होता है। इससे समाज की दिशा तय होती है। हमारी लेखनी ऐसी होनी चाहिए जो मार्ग दर्शक के रूप में समाज को नई दिशा दे सके। साहित्यकार को समाज की ज्वलन्त समस्याओं को रचनात्मक दिशा देने का प्रयास करना चाहिए, जिसमें व्यापक लोक कल्याण और राष्ट्र कल्याण का भाव निहित हो।
उन्होंने कहा कि साहित्य का अर्थ ही है, जिसमें सबका हित हो। साहित्य के माध्यम से ही हम किसी समाज, राष्ट्र व संस्कृति को सम्बल प्रदान कर सकते हैं।
मुख्यमंत्री कहा कि आज आवश्यकता है कि रचनात्मक साहित्य को बढ़ावा दिया जाए। रचनात्मक साहित्य के माध्यम से ही प्रगतिशील समाज की संकल्पना को साकार किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जो समाज अपनी विभूतियों को संरक्षित व संवर्धित करता है, वहीं समाज आगे बढ़ता है। हिन्दी भाषा भारत को एक सूत्र में पिरोने वाली भाषा है।
उन्होंने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने संयुक्त राष्ट्र संघ में अपना उद्बोधन हिन्दी भाषा में किया था। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी हिन्दी भाषा में अपने अभिभाषणों के माध्यम से न केवल दुनिया को भारत की ओर आकर्षित कर रहे हैं, बल्कि दुनिया को देश की ताकत का एहसास भी करा रहे हैं।
भंडारी
जारी वार्ता