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तमिलनाडु के मंत्री के खिलाफ डीए केस में अलग अलग फैसला

तमिलनाडु के मंत्री के खिलाफ डीए केस में अलग अलग फैसला

चेन्नई, 04 मार्च (वार्ता) मद्रास उच्च न्यायालय में गुरुवार को उस समय अजीबोगरीब स्थिति उत्पन्न हो गयी जब एक ही पीठ के दो न्यायाधीशों ने तमिलनाडु के मिल्क डेयरी और विकास मंत्री राजेंद्र बालाजी के वर्ष 2011 से 2013 तक ज्ञात स्त्रोंतों से अधिक आय अर्जित करने के मामले में अलग अलग फैसला सुनाया।

न्यायमूर्ति एम सत्यनारायणन ने सतर्कता निदेशालय द्वारा दायर की गई जांच रिपोर्ट और एंटी करप्शन की ओर से दी गई क्लीन चिट पर रोक लगा दी और मंत्री के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के बाद जांच पूरी करने का भी आदेश दिया। वहीं दूसरी न्यायमूर्ति आर हेमलता ने आदेश दिया कि राज्य सरकार ने डीवीएसी रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया और आगे की कार्रवाई रोक दी है तो ऐसे में उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की कोई आवश्यकता नहीं है।

इस विभाजित फैसले के मद्देनजर पूरे मामले को मुख्य न्यायाधीश संजीब बनर्जी के सामने रखा जाएगा और वह तीसरे न्यायाधीश के सामने मामले को नए सिरे से सूचीबद्ध करेंगे।

यह विभाजित फैसला एक रिट याचिका पर दिया गया था। याचिका के जरिये मद्रास उच्च न्यायालय की मदुरै बेंच में दायर 2013 में मंत्री के खिलाफ डीएवीसी जांच की मांग कही गयी है।

संजय जितेन्द्र

वार्ता

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