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मद्रास उच्च न्यायालय ने की मगरमच्छों के स्थानांतरण के खिलाफ याचिका खारिज

मद्रास उच्च न्यायालय ने की मगरमच्छों के स्थानांतरण के खिलाफ याचिका खारिज

चेन्नई, 11 अगस्त (वार्ता) मद्रास उच्च न्यायालय ने मद्रास क्रोकोडाइल बैंक ट्रस्ट (एमसीबीटी) से लगभग 1,000 मगरमच्छों को गुजरात में ग्रीन्स जूलॉजिकल रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर (जीजेडआरआरसी) में स्थानांतरित करने के खिलाफ दायर जनहित याचिका खारिज कर दी है।

मुख्य न्यायाधीश मुनीश्वर नाथ भंडारी और न्यायमूर्ति एन माला की खंडपीठ ने याचिका बुधवार को इस टिप्पणी के साथ खारिज कर दी कि जब विशेषज्ञ रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड द्वारा समर्थित जीजेडआरआरसी में उपलब्ध सुविधाओं से संतुष्ट हैं, तो अदालत इस तरह के फैसले में हस्तक्षेप नहीं करना चाहेगी।

अदालत ने कहा कि याचिकाकर्ता ने विशेषज्ञों के निर्णय का विरोध जताने के लिए कोई साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किए हैं। अदालत ने कहा, “ हमारी राय है कि याचिकाकर्ता द्वारा 1,000 मगरमच्छों को स्थानांतरित करने की आपत्ति में काेई दम नहीं है और इसमें काई तथ्यात्मक आधार भी नहीं है। ”

न्यायमूर्ति माला ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने यह स्पष्ट कर दिया था कि ऐसे मुद्दों में अदालत का दृष्टिकोण पर्यावरण केंद्रित होना चाहिए न कि मानवकेंद्रित। पारिस्थितिकी केन्द्रित शब्द की व्याख्या करते हुए शीर्ष अदालत ने कहा था कि इसका मूल रूप से मनुष्यों और गैर-मनुष्यों दोनों की रक्षा करना था।

उच्च न्यायालय ने गुजरात में जीजेडआरआरसी के संशोधित मास्टर प्लान को सत्यापित और उचित शोध किए बिना मगरमच्छों के स्थानांतरण के मसले को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई), अपराध शाखा-आपराधिक जांच विभाग (सीबी-सीआईडी) अथवा एक विशेष जांच दल (एसआईटी) से जांच की मांग के लिए वादी की आलोचना की।

खंडपीठ ने आदेश सुनाते हुए कहा, “कमियों के बावजूद, हमने केवल जानवरों के कल्याण के लिए हमारी चिंता के कारण जनहित याचिका पर विचार किया। अब हम केन्द्रीय जांच ब्यूरो या सीबी-सीआईडी ​​या विशेष जांच टीम (एसआईटी) द्वारा जांच के अनुरोध को अस्वीकार करते हैं। ”

चेन्नई के चिंताद्रिपेट के ए विश्वनाथन (76) ने इस वर्ष जून में जनहित याचिका दायर की थी।

आशा.उप्रेती.श्रवण

वार्ता

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