प्रयागराज,20 सितंबर (वार्ता) साधु संतो की सबसे बड़ी संस्था अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेन्द्र गिरी को अक्टूबर 2019 में हुई 13 अखाड़ों की बैठक में दोबारा परिषद का अध्यक्ष चुना गया था।
मंहत नरेन्द्र गिरी अल्लापुर बाघम्बरी गद्दी में अधिकांश समय व्यतीत करते थे। पहली बार मार्च 2015 में पंचायती अखाड़ा श्री निरंजनी के सचिव और मठ बाघंबरी गद्दी के महंत नरेंद्र गिरि को सर्वसम्मति से अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद का अध्यक्ष चुना गया था। उसके बाद दोबारा उन्हें अकटूबर 2019 में अध्यक्ष चुना गया था।
देश में कुल 13 अखाड़े हैं। वर्ष 1954 में अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की स्थापना हुई थी। अखाड़ा परिषद ही महामंडलेश्वर और बाबाओं को प्रमाणपत्र देती है। कुंभ और अर्ध कुंभ मेले में कौन अखाड़ा कब और किस समय स्नान
करेगा यह अखाड़ा परिषद ही तय करती है।
गौरतलब है कि निरंजनी अखाड़े की स्थापना करीब 900 साल पहले हुयी थी जबकि बाघंबरी गद्दी 300 साल पुरानी है। निरंजनी अखाड़ा की स्थापना गुजरात के मांडवी में हुई थी, जहां पर महंत अजि गिरि, मौनी सरजूनाथ गिरि,
पुरुषोत्तम गिरि, हरिशंकर गिरि, रणछोर भारती, जगजीवन भारती, अर्जुन भारती, जगन्नाथ पुरी, स्वभाव पुरी, कैलाश पुरी, खड्ग नारायण पुरी, स्वभाव पुरी ने मिलकर अखाड़ा की नींव रखी। हालांकि इसका मुख्यालय प्रयागराज में है वहीं उज्जैन, हरिद्वार, त्रयंबकेश्वर और उदयपुर में भी अखाड़े ने अपने आश्रम बना रखे हैं।
शैव परंपरा के निरंजनी अखाड़े के करीब 70 फीसदी साधु-संतों ने उच्च शिक्षा प्राप्त की है। इनमें से कुछ डॉक्टर, कुछ वकील, प्रोफेसर, संस्कृत के विद्वान और आचार्य शामिल हैं। वर्तमान समय में लगभग निरंजनी अखाड़ा में 33 महामंडलेश्वर, 1000 के करीब साधु और 10 हजार नागा शामिल हैं।
दिनेश प्रदीप
वार्ता