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महाराष्ट्र कांग्रेस ने की फडणवीस की आलोचना

महाराष्ट्र कांग्रेस ने की फडणवीस की आलोचना

पुणे, 27 मई (वार्ता) महाराष्ट्र कांग्रेस ने उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस द्वारा विधानसभा और संसद के इतिहास के बारे में समाज को आधी-अधूरी जानकारी साझा कर उन्हें गुमराह करने पर जमकर निशाना साधा है।

प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता गोपाल दादा तिवारी ने शनिवार को कहा कि श्री फडणवीस ने हाल ही कांग्रेस की आलोचना की थी और संसदीय दीर्घाओं, या संसद के कुछ (अनुबंध) उप-वर्गों के बारे में अनुचित जानकारी का हवाला देकर अस्वीकार्य एवं निराधार तरीका अपनाया है।

श्री तिवारी ने कहा कि उपमुख्यमंत्री फडणवीस का बयान समाज में हंसी का पात्र और यह अब हास्यास्पद बन गया है। उन्होंने जोर दिया कि कानून की डिग्री धारकों को आंशिक जानकारी सार्वजनिक करके गुमराह नहीं किया जाना चाहिए। राज्य के उपमुख्यमंत्री देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को खुश करने की कोशिश कर रहे हैं और उन्हें उनके गलत फैसलों का समर्थन कर रहे हैं, जो स्पष्ट तौर पर समझ में आता है।

उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को पुराने संदर्भ आंशिक और आसानी से नहीं देना चाहिए। उन्होंने कहा, “देवेंद्र जी को भारत के संघीय राज्य के रूप में संवैधानिक ढांचे, इतिहास की सच्ची घटनाओं को समझना चाहिए और उस पर टिप्पणी बाद में करनी चाहिए।”

कांग्रेस नेता ने कहा कि संसद भवन का शिलान्यास तीन अगस्त 1970 को राष्ट्रपति वीवी गिरी ने उपराष्ट्रपति जी.एस. पाठक और प्रधानमंत्री इंदिरा की उपस्थिति में किया था, लेकिन 07 मई 2002 को तत्कालीन राष्ट्रपति के.आर. नारायण ने भी ऐसा किया।

श्री तिवारी ने चुटकी लेते हुए कहा कि श्री फडणवीस को देश में ऐतिहासिक घटनाओं का रिकॉर्ड रखना चाहिए या यदि उन्हें पता भी है तो उन्हें मोदी का समर्थन करने के लिए राजनीतिक उद्देश्यों के लिए भ्रामक बयान नहीं देना चाहिए। उन्होंने कहा, “पार्लियामेंट एनेक्स या पार्लियामेंट लाइब्रेरी दोनों ही संसद का 'हिस्सा' हैं, लेकिन अब सेंट्रल विस्टा बिल्कुल नया संसद भवन है। इन दोनों कार्यक्रमों की तुलना नहीं की जा सकती, बल्कि दोनों पुराने संसद के कार्यक्रमों में राष्ट्रपति उपस्थित रहे है। श्री फडणवीस को अपने गलत और भ्रामक बयान के लिए समाज के सामने माफी मांगनी चाहिए।”

श्री तिवारी ने कहा कि यह निंदनीय है कि भाजपा नए संसद भवन के उद्घाटन को महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों संवैधानिक परंपरा के बजाय 'राजनीतिक उद्देश्य और निहित स्वार्थ की इच्छा' के लिए टालमटोल कर रही है। जिन भाजपा नेताओं ने बयान देकर अपनी निजी राय रखने का ढोंग किया है। भाजपा नेताओं ने संवैधानिक और लोकतांत्रिक मूल्यों का हनन किया है, क्षेत्रीय दल अब नहीं रहेंगे और हम 50 साल तक सत्ता में रहेंगे, यह सब हास्यास्पद है।

उप्रेती अशोक

वार्ता

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