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पर्यावरण संरक्षण के विश्वगुरू थे महात्मा गाँधी: जयराम रमेश

पर्यावरण संरक्षण के विश्वगुरू थे महात्मा गाँधी: जयराम रमेश

भोपाल, 02 अक्टूबर (वार्ता) राज्यसभा सदस्य और पूर्व केन्द्रीय मंत्री जयराम रमेश ने कहा है कि विश्व में पर्यावरण के लिये जितने भी आन्दोलन हुए हैं या हो रहे है, उन सभी आंदोलनों में गाधीजी के विचार ही परिलक्षित होते हैं। गाधी जी का जीवन पर्यावरण संरक्षण का सर्वोत्तम उदाहरण है।

श्री रमेश ने आज यहां एप्को द्वारा आयोजित व्याख्यान माला के अंतर्गत गांधी दर्शन संगोष्ठी में यह बात कही। उन्होंने कहा कि श्री गांधीजी ने वैसे तो पर्यावरण के लिये कोई पुस्तक नहीं लिखी है और न ही ऐसा कोई पत्र है किन्तु उनका जीवन अपने आप में पर्यावरण संरक्षण की एक मिसाल कहा जा सकता है।

श्री रमेश ने कहा कि भारत में पर्यावरण संरक्षण के लिये चिपको आन्दोलन और नर्मदा आन्दोलन भी गाँधीवादी विचारधाराओं से प्रेरित रहे हैं। गांधी जी ने अपने जीवन में हमेशा बेस्ट रिसायकलिंग का उदाहरण प्रस्तुत किया है और जनमानस को इसे अपनाने के लिये प्रेरित भी किया।उन्होंने कहा कि भारत में पर्यावरण पर बहुत बातें होती हैं। हमारी जीवनशैली, धर्म, परम्पराएं आदि सभी प्रकृति से जुड़ी हैं। हमारी पहचान गंगा और हिमालय से है। वृहद अरण्य उपनिषद् पर्यावरण पर ही लिखा गया है।

उन्होंने कहा कि हिन्दू धर्म के सभी देवी-देवता का वाहन कोई न कोई पशु-पक्षी है। इसके विपरीत विदेशों की संस्कृति प्रकृति पर काबू पाना और नियंत्रित करने की रही है। पूर्व केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि हमारे यहाँ प्रकृति के साथ संतुलन का सिद्धांत ही सर्वमान्य है।

श्री रमेश ने कहा कि गांधीजी के जीवनकाल में केवल एक बार ही जन्म-दिन मनाने का उदाहरण मिलता है। वर्धा के लोगों ने कस्तूरबा गांधी ट्रस्ट बनाया था। ट्रस्ट ने आर्थिक सहायता के लिये गांधी जी को 2 अक्टूबर को आमंत्रित किया। वहां गाँधी जी ने कहा कि उन्हें याद नहीं है कि इस दिन उनका जन्म-दिन रहता है। वर्धा के लोगों के निवेदन पर गांधीजी ने 75 वर्ष की आयु में जन्म-दिन मनाने के लिये स्वीकृति दी थी।

श्री रमेश ने कहा कि देश में जीडीपी के लिये पर्यावरण को अनदेखा किया जा रहा है, जो ठीक नहीं है। पर्यावरण की कीमत पर विकास किसी काम का नहीं है। इसका उदाहरण बढ़ते तापमान, पर्यावरण असंतुलन, प्रदूषण में साफ दिख रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रकृति का सार्वभौम्य सिद्धांत है कि जो प्रकृति को संरक्षित करता है, उसे प्रकृति संरक्षण देती है।

प्रमुख सचिव मलय श्रीवास्तव ने कहा कि पर्यावरण असंतुलन से पूरे विश्व में आपदाएं आ रही है। वनस्पति बदल रही है, मौसम का समय चक्र बदल रहा है। उन्होंने बताया कि पर्यावरण संतुलन के लिये सरकार भी लगातार प्रयास कर रही है। कार्यक्रम में एप्को द्वारा 20 छात्र-छात्राओं को ईको फेलोशिप प्रदान की गयी। श्री जयराम रमेश ने पर्यावरण पर प्रकाशित पुस्तक का विमोचन किया।

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