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देव स्थानों के बेहतर प्रबंधन के लिए बनाएं कार्ययोजना : यादव

देव स्थानों के बेहतर प्रबंधन के लिए बनाएं कार्ययोजना : यादव

भोपाल, 28 फरवरी (वार्ता) मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने कहा है कि प्रदेश में देव स्थानों के बेहतर प्रबंधन के लिए आवश्यक कार्ययोजना तैयार की जाए।

डॉ यादव ने आज शाम यहां समत्व भवन मुख्यमंत्री निवास में प्रमुख सचिव पर्यटन एवं संस्कृति और संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक में यह निर्देश दिए। पर्यटन, संस्कृति, धर्मस्व, नगरीय प्रशासन, ग्रामीण विकास, नवकरणीय ऊर्जा और संबंधित विभाग संयुक्त बैठक में कार्ययोजना तैयार करें। मुख्यमंत्री ने कहा कि भगवान श्रीराम वन गमन पथ के स्थानों पर आवश्यक सुविधाओं के विकास के साथ ही भगवान श्रीकृष्ण के प्रदेश में जिन स्थानों पर भ्रमण हुए हैं, वहाँ भी तीर्थयात्रियों के लिए आवश्यक व्यवस्थाएं की जाएं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि मंदिरों से जुड़ी व्यवस्थाओं के बेहतर प्रबंधन के साथ ही अन्न क्षेत्र, सौर ऊर्जा के उपयोग, स्वच्छता और सौन्दर्यीकरण से जुड़े आयामों पर कार्य किया जाए। विभिन्न सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व की गतिविधियों को आयोजित करने के लिए वार्षिक कैलेण्डर बनाकर कार्य किया जाए। आयोजनों से संतों-महात्माओं को भी जोड़ा जाए।

डॉ यादव ने कहा कि आम लोगों की भागीदारी और सहयोग से निकट भविष्य में अंतर्राष्ट्रीय गीता एवं रामायण महोत्सव के आयोजन और भविष्य में देवी-देवताओं की लघु प्रतिमाओं के निर्माण के लिए इकाईयां प्रारंभ की जा सकती हैं, इससे स्थानीय निवासियों को आर्थिक उन्नयन के अवसर मिलेंगे।

उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण मथुरा से उज्जैन आए थे, यहाँ सांदीपनी आश्रम पहुंचे थे, जहाँ उन्होंने चौसठ दिन में चौसठ कलाएं सीखीं थी और वेदपुराण का अध्ययन किया था। इसके साथ ही धार जिले के अमझेरा और उज्जैन जिले के महिदपुर तहसील में नारायण धाम का भी विशेष महत्व है। अमझेरा में शैव और वैष्णव सम्प्रदाय के कई प्राचीन मंदिर है। इस स्थान का भगवान श्रीकृष्ण और रूक्मणि से संबंध है। नारायण धाम में विश्व का एकमात्र मंदिर है, जहाँ भगवान श्रीकृष्ण मित्र सुदामा के साथ विराजते हैं।

इन स्थानों पर आवश्यक सुविधाओं और अधोसंरचनात्मक व्यवस्थाओं से पर्यटकों और श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ सकती है। इसी तरह जानापाव कुटी इंदौर-मुंबई राज्यमार्ग पर प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है, यह इंदौर से 45 किलोमीटर की दूरी पर है। यह भगवान परशुराम की जन्मस्थली है। प्रतिवर्ष कातिक पूर्णिमा पर यहाँ मेला भी लगता है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि देव स्थानों के साथ ही प्रदेश में चित्रकूट, ओरछा और अन्य महत्वपूर्ण आध्यात्मिक महत्व के स्थानों के विकास के लिए भी कार्ययोजना तैयार की जाए। उन्होंने कहा कि उज्जैन के पास दंगवाड़ा के प्रसिद्ध शिव मंदिर में बोरेश्वर महादेव विराजते हैं। यहाँ जलाधारी से कभी पानी खत्म नहीं होता। यह आम लोगों के लिए कौतुहल का केन्द्र है। चंबल नदी इस मंदिर की परिक्रमा करके निकलती है। शिवरात्रि पर युवाओं के सहयोग से उज्जैन से बोरेश्वर महादेव तक बाइक रैली की परम्परा बनी है। इसके साथ ही यहाँ कावड़ यात्रियों का आना-जाना भी लगा रहता है। पूरे वर्ष श्रद्धालु यहाँ आते हैं। प्रख्यात पुरातत्वविद डॉ. वाकणकर ने इस अंचल के पुरातात्विक महत्व पर शोध किया। कोलकाता और लंदन में इस अंचल की कुछ प्रतिमाएं संग्रहित की गई हैं। ऐसे स्थानों के विकास के लिए भी आवश्यक कदम उठाए जाएं।

डॉ यादव ने प्रमुख सचिव सामाजिक न्याय को निर्देश दिए कि नर्मदा परिक्रमा पथ के विभिन्न स्थानों पर ग्राम पंचायतों की ओर से मांगलिक भवन के निर्माण के लिए आवश्यक पहल की जाए। बैठक में अन्य संबंधित अधिकारी भी उपस्थित थे।

बघेल

वार्ता

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