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ईश्वर ने नहीं दी आंखें, पर नाक से बांसुरी बजाने की कला कर देती है अचंभित

ईश्वर ने नहीं दी आंखें, पर नाक से बांसुरी बजाने की कला कर देती है अचंभित

  कोंडागांव, 10 जुलाई (वार्ता) छत्तीसगढ़ के कोंडागांव जिले का एक आदिवासी नेत्रहीन अपनी कला से लोगों को खूब अचंभित करता है। बड़े राजपुर के बड़ागांव में रहने वाले बृजलाल नेताम (60) को दोनों आंखों से कुछ नहीं दिखाई देता, पर प्रतिभा ऐसी है कि जो भी देखता है, देखता रह जाता है। बृजलाल को नाक से बांसुरी बजाने में दक्षता हासिल है। बांसुरी के अलावा बृजलाल कोसा की खोल से पक्षियों की आवाजें भी निकालते हैं। बड़े भाई की मौत के बाद भाभी सोहनीत और भतीजे-भतीजी के साथ रहने वाले बृजलाल ने बताया कि उन्हें बांसुरी बजाने का बचपन से शौक है। करीब 20 साल पहले एक हादसे में उनके दांत टूट गए, जिसके बाद बांसुरी बजाना काफी मुश्किल था। फिर भी वे हारे नहीं और नाक से बांसुरी बजाना शुरु कर दिया। बृजलाल को गांव और आसपास के इलाकों में शादी और दूसरे मौकों पर खूब याद किया जाता है। यहां अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने के बदले में जो पैसे मिलते हैं उससे उनका गुजारा होता है। 

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