Saturday, Apr 20 2024 | Time 13:04 Hrs(IST)
image
फीचर्स


आम हुआ खास, इस साल आम आदमी को नसीब नही होगा आम

आम हुआ खास, इस साल आम आदमी को नसीब नही होगा आम
Mango

बस्ती 28 अप्रैल, (वार्ता) उत्तर प्रदेश के पूर्वी जिले (पूर्वांचल) के आम आदमी को इस साल आम नसीब नहीं हो पायेगा क्योंकि केवल पांच से दस प्रतिशत ही पेडों आम लगा है। पूर्वी उत्तर प्रदेश के बस्ती मंडल के जिले बस्ती, सिद्धार्थनगर,संतकबीरनगर,गोरखपुर, मंडल के जिलो गोरखपुर , कुशीनगर, देवरिया, महरागंज, आजमगढ़, मंडल के जिले आजमगढ़ बलिया, मऊ, इलाहाबाद, मंडल के जिले कौशाम्बी, इलाहाबाद, फतेहपुर, प्रतापगढ़, अम्बेडकरनगर,बाराबंकी,सुल्तानपुर,मिर्जापुर, मंडल के जिलो मिर्जापुर, संतरविदासनगर, सोनभद्र-,बाराणसी गंडल के जिलो-वाराणसी, चन्दौली गांजीपुर, जौनपुर, देवीपाटन मंडल के गोण्डा, बलरापुर,बहराईच, श्रावस्ती,जिलों में इस वर्ष आम की फसल बहुत कम है। इस क्षेत्र के नागरिको का मानना है कि लगभग 30 वर्षो के बाद इस बार आम की फसल इतनी कम आयी है। आम की फसल कम आने के कारण बाहर से जो आम आयेगा वह मंहगा बिकेगा उसे आम आदमी खरीद कर नहीं खा पायेगा। उत्तर प्रदेश में पिछले वर्ष 35 लाख टन से भी अघिक आम का उत्पादन हुआ था। प्रदेश में ढाई लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में आम की बागवानी होती है। पिछले वर्ष पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी आम की फसलें अच्छी थी। उत्तर प्रदेश के ख्यति प्राप्त औद्यानिक प्रयोग एवं प्रशिक्षण केन्द्र बस्ती के संयुक्त निदेशक डा0 आर0के0 तोमर ने आम की कम फसल आने के कारणो पर प्रकाश डालते हुए ‘‘यूनीवार्ता’’ को बताया कि आम की फसल एक साल के अन्तराल पर फलता है पिछले वर्ष आम की अच्छी फसल थी। इसी कारण इस वर्ष कम फल आया है दुसरा प्रमुख कारण वे बताते है आम में बौर लगने के समय जनवरी फरवरी माह मे मौसम अनुकूल नहीं था इस कारण आम के पेड़ो में बौर की जगह पत्तिया निकल आयी।


डा0 तोमर ने कहा कि आम के बागो की समुचित रूप से देखभाल न हो पाने के कारण भी आम की फसल इस वर्ष कम आयी है। आम में लगने वाले कीडों से पेडों और फसलो को बचाने के लिए समुचित उपाय नही हो पाता है अच्छी दवाओं की कमी के कारण भी फसलों का रख रखाव ठीक से नही हो पाता है। इस सम्बन्ध में भारतीय वन सेवा के वरिष्ठ अधिकारी ओ0पी0 सिंह ने बताया है कि दूषित हो रहा पर्यावरण और बढ़ते प्रदूषण के कारण आम के पेड़ो में इस वर्ष फल कम आया है श्री सिंह ने बताया कि दूषित पर्यावरण और बढ़ते प्रदूषण के ही कारण आम के पुराने पेड़ सूख रहे है। आम भारत का राष्ट्रीय फल है आम का उत्पादन पाकिस्तान, बंग्लादेश,नेपाल,अमरीका,फिलीपीन्स, सयुक्त अरब, अमीरात,दक्षिण अफ्रीका, जाबिया, माले, ब्राजील,पेरू,केन्या, जमायिका, तन्जानिया,मेडागास्कर,जापरे,हेती, आइवरी, कोस्ट,थाईलैंड,इण्डोनेशिया,श्रीलंका, सहित अन्श् कई देशो में आम का उत्पादन होता है। भारत में आम का कुल विश्व उत्पादन का लगभग 62 प्रतिशत उत्पादन होता है । भारत में आम उगाने वाले क्षेत्रो में सर्वाधिक क्षेत्रफल उत्तर प्रदेश में है लेकिन सर्वाधिक उत्पादन आन्ध्रप्रदेश में होता है। आम के फल का उपयोग उसके हर अवस्था में किया जाता है।आम की विश्व में लगभग 1100 (एक हजार एक सौ प्रजातिया (किस्मे) पायी जाती है। प्राचीन काल से ही भारत वर्ष में आम का विशेष महत्व रहा है। आम लैटिन भाषा के गैन्जीफेरा इण्डिया एल शब्द से बना है।


आम की गणना भारत के प्राचीन फलों में की जाती है इस बात का उल्लेख मिलता है भारत में लोगों को लगभग छह हजार वर्ष से इसकी उपजाई जाने वाली प्रजातियों के विषय में जानकारी थी। आम नाम ही इस बात का प्रतीक है कि इसे छोटे-बडे गरीब-अमीर सभी समान रूप से प्रसन्द करते है इसके आकर्षक रंग मनमोहक सुगन्ध और उत्तम स्वाद के कारण इसे फलों का राजा कहा जाता है। उत्तर भारत, उत्तर प्रदेश और खास करके पूर्वी उत्तर प्रदेश में दशहरी,लंगडा,चौसा,रामकेला,फजरी,मल्लिका, आम्रपाली, सौरभ,गौरव,राजीव,स्टौल,बम्बईहरा,रोमानी,गौरजीत तोतापरी,बंग्लौरा,हजरी,लखनऊ सफेदा, मलीहावादी सफेदा,नीलम,सहित अनेक देशी प्रजातियों के आम पाये जाते है। उत्तर प्रदेश से भी आम का निर्यात विदेशो में किया जाता है लेकिन पूर्वी उत्तर प्रदेश से अभी तक आम का निर्यात शुरू नही हो पाया है। कृषि वैज्ञानिको का मत है कि उन्नतिशील आम की बागवानी करके पूर्वी उत्तर प्रदेशो को विदेशो को आम तथा उससे बने पदार्थ को निर्यात करके अच्छी खासी विदेशी मुद्रा अर्जित की जा सकती है। इससे इस क्षेत्र की किसानों की आर्थिक स्थिति तो सुधरेगी ही देश को विदेशी मुद्रा भी मिलेंगी। सं प्रदीप त्यागी चौरसिया वार्ता

There is no row at position 0.
image