नयी दिल्ली, 12 अक्टूबर (वार्ता) भारत की मंजू रानी ने जबरदस्त प्रदर्शन करते हुए रूस के उलान उदे में चल रही आईबा महिला विश्व मुक्केबाजी चैंपियनशिप में शनिवार को 48 किग्रा वर्ग के खिताबी मुकाबले में प्रवेश कर लिया जबकि सुपरस्टार एमसी मैरीकॉम (51 किग्रा) जमुना बोरो (54 किग्रा) और लवनीना बोर्गोहेन (69 किग्रा) को सेमीफाइनल में हारकर कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा।
स्वर्ण पदक की प्रबल दावेदार मानी जा रही तीसरी वरीयता प्राप्त मैरी को सेमीफाइनल में दूसरी सीड तुर्की की बुसेनाज काकिरोग्लू के हाथों 1-4 से हार का सामना करना पड़ा जिससे उनका 51 किग्रा में अपना पहला स्वर्ण जीतने का सपना अधूरा रह गया। मैरीकॉम को बुसेनाज से मिली हार के बाद भारत ने मैच रेफरी के निर्णय के खिलाफ अपील दर्ज कराई लेकिन भारत की अपील खारिज कर दी गयी।
मंजू ने तिरंगा बुलंद रखते हुए सेमीफाइनल में थाईलैंड की चुथामत रकसत को 4-1 से हराकर अपनी पहली ही विश्व चैंपियनशिप में फाइनल में जगह बना ली। मंजू का फाइनल में रूस की एकाटेरिना पाल्त्सेवा से रविवार को भारतीय समयानुसार डेढ़ बजे मुकाबला होगा।
मैरी सेमीफाइनल में हार से काफी निराश हुईं। हालांकि वह विश्व चैंपियनशिप के इतिहास में आठ पदक जीतने वाली पहली मुक्केबाज (पुरुष या महिला) बन गयी हैं।
जमुना बोरो को सेमीफाइनल में टॉप सीड चीनी ताइपे की हुआंग सियाओ-वेन ने 5-0 से और लवलीना को चीन की यांग लियू ने नजदीकी मुकाबले में 3-2 से हराया। जमुना और लवलीना को मैरी की तरह कांस्य पदक से संतोष करना पड़ा। जमुना का विश्व चैंपियनशिप में यह लगातार दूसरा कांस्य पदक है।
पुरुष विश्व चैंपियनशिप की तरह महिला विश्व चैंपियनशिप में भारत की एक मुक्केबाज फाइनल में पहुंची। अमित पंघल ने पुरुष चैंपियनशिप में रजत पदक जीता था जबकि मनीष कौशिक ने कांस्य पदक जीता था। महिला चैंपियनशिप में भारत के तीन कांस्य पदक पक्के हो चुके हैं और रविवार को स्वर्ण का फैसला होना है।
तीन बच्चों की मां 36 वर्षीय मैरी कांस्य पदक जीतने के साथ ही विश्व चैंपियनशिप के इतिहास में इस तरह सबसे सफल खिलाड़ी बन गयीं। उन्होंने क्यूबा के फेलिक्स सेवोन को पीछे छोड़ दिया जिनके नाम सात स्वर्ण पदक थे। मैरी के पिछले सात पदक 48 किग्रा वर्ग में आए थे जिसमें छह स्वर्ण और एक रजत पदक शामिल है।उन्होंने 51 किग्रा में अपना पहला पदक हासिल किया।
सेमीफाइनल में मैरीकॉम को बुसेनाज से मिली हार के बाद भारत ने मैच रेफरी के निर्णय के खिलाफ अपील दर्ज कराई जिसे खारिज कर दिया गया। बाउट खत्म होने के बाद पांच जजों ने कारिकोग्लू के पक्ष में 28-29, 30-27, 29-28, 29-28, 30-27 से फैसला सुनाया।
भारतीय खेमे ने अपील की लेकिन आईबा के नियम 20 के अनुसार केवल 3-2 के फैसले में ही अपील स्वीकार की जाती है और आईबा की तकनीकी समिति ने बाद में भारतीय अपील को ख़ारिज कर दिया।
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