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मानसरोवर के राजहंस बस्तर अचंल में पहुंचे

मानसरोवर के राजहंस बस्तर अचंल में पहुंचे

ज्गदलपुर, 22 नवंबर (वार्ता) बढ़ती ठंड के साथ छत्तीसगढ में बस्तर के मैदानी इलाकों के तालाबों में प्रवासी पक्षियों की संख्या भी बढ़ने लगी है। इस वर्ष हजारों किलोमीटर लंबी यात्रा करते हुये मानसरोवर के राजहंस पहली बार हिमालय की ऊंची चोटियों को पार कर बस्तर पहुंचे। इनके झुंड बकावंड ब्लाक के दशापाल तालाब में देखे गये। राजहंस के बस्तर पहुंचने से दशापाल के ग्रामीण अचंभित हैं जबकि पशु चिकित्सा विभाग के डॉक्टर्स परेशान हैं क्योकि देश के कुछ हिस्सों से बर्ड फ्लू की शिकायतें मिल रही हैं और इस पक्षी को बर्ड फ्लू का पहला संधारक माना जाता है। इन दिनों बस्तर के मैदानी इलाके के पुराने तालाबों के किनारे सफेद और धूसर रंग के राजहंस दिखाई दिये है। ये पहली बार 15- 20 के झुंड में बस्तर में उतरे हैं। इसके पहले दो राजहंसों को लोग अबूझमाढ़ के हांदावाड़ा की धाराडोगरी में देखते रहे हैं। ग्रामीणों की सूचना पर काकतीय महाविद्यालय की प्राणी विज्ञान के विभागाध्यक्ष डॉ सुशील दत्ता ने जगदलपुर से करीब 18 किमी दूर ग्राम दशापाल के तालाब में इनकी तस्वीर ली। इनकी लंबाई करीब 80 सेमी और वजन सवा तीन किलोग्राम के आसपास है। उन्होंने बताया कि राजहंस जिसे अंग्रेजी में बार हेडड गुज और प्राणीविज्ञान में एन्सर इंडिकस कहते हैं, हिमालय की आठ हजार मीटर से ऊंची बफ्रीली चोटियों के ऊपर से होकर बस्तर पहुंचे हैं। इसके पहले इनके इक्का- दुक्का के आने की खबर मिलती रही है। बस्तर में करीब 15 प्रकार के प्रवासी पक्षी आते हैं। जगदलपुर के प्रभारी वन्यप्राणी संरक्षण कार्यालय के तपेश झा ने बताया कि ग्रामीण इनका शिकार करते हैं, इसलिए मेहमान पक्षियों का संरक्षण जरूरी हो गया है। बस्तर में आए प्रवासी पक्षी राजहंस सहित अन्य प्रवासी परिन्दों को संरक्षण देने के लिए गश्ती दल बनाया जा रहा है। इसके लिए सभी वनमंडलाधिकारियों को निर्देशित किया गया है। उन्होंने बताया कि हर डीएफओ अपने डिवीजन के वन्यप्राणियों की सुरक्षा के लिए जवाबदार होगा। इन पक्षियों को अवैध शिकार से बचाने जागरूकता कार्यक्रम भी चलाया जाएगा।

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