नयी दिल्ली 09 फरवरी (वार्ता) चुनाव आयोग ने आगामी आम चुनावों के लिए पूरे देश में अब तक के सबसे अधिक 96.88 करोड़ से अधिक मतदाताओं को पंजीकृत किया है।
आयोग के प्रवक्ता ने शुक्रवार को यहां यह जानकारी दी। वर्ष 2019 से पंजीकृत मतदाताओं में 6 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गयी। साथ ही महिलाओं, युवाओं और दिव्यांगों के बीच पंजीकरण में भी उल्लेखनीय वृद्धि देखी गई।
प्रवक्ता ने कहा कि गहन विशेष सारांश संशोधन (एसएसआर) 2024 के दौरान महिला मतदाताओं का पंजीकरण पुरुष मतदाताओं से आगे निकल गया। पंजीकरण में 18-29 आयु वर्ग के दो करोड़ से अधिक युवा मतदाता शामिल हैं।
प्रवक्ता ने कहा कि योग्य अपंजीकृत मतदाता अभी भी निरंतर मतदाता के रूप में नामांकन कर सकते हैं।
चुनाव आयोग ने कई महीनों के बाद गहन विशेष सारांश संशोधन 2024 (एसएसआर 2024) अभ्यास और आगे आने वाले आम चुनाव 2024 के लिए देश भर के सभी राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों में मतदाता सूची प्रकाशित की। इसमें अर्हता तिथि के रूप में एक जनवरी, 2024 का संदर्भ भी शामिल है।
इसके अलावा जम्मू-कश्मीर में मतदाता सूची की समीक्षा का सफल समापन और असम, संविधान के परिसीमन के बाद सावधानीपूर्वक योजना, समन्वय और भागीदारी के साथ इसे अंजाम दिया गया। इस दौरान राजनीतिक दलों ने भी मतदाता सूची की समावेशिता, और शुद्धता को लेकर उल्लेखनीय उपलब्धियाँ हासिल की हैं।
एसएसआर 2024 की मुख्य विशेषताएं:
● समावेशी भागीदारी: सावधानीपूर्वक योजना और समन्वय के साथ मतदाता सूची अब समावेशिता का दावा करती है। अद्वितीय पैमाना, जो भारत की जीवंत विविधता को दर्शाता है। अंतिम रूप से प्रकाशित मतदाता सूची के अनुसार देशभर में कुल 96.88 करोड़ से अधिक मतदाता पंजीकृत हैं।
● लिंग समानता: इस प्रकाशन में उल्लेखनीय है महिला मतदाता पंजीकरण में वृद्धि, एक ठोस उदाहरण है चुनाव के भीतर लैंगिक समानता और समावेशिता की दिशा में प्रयास
रूपरेखा। मतदाता सूची में लिंगानुपात सकारात्मक रूप से उभरा है। लोकतंत्र को आकार देने में महिलाओं की बढ़ती भूमिका का संकेत। राष्ट्र का ताना-बाना. 2.63 करोड़ से ज्यादा नए मतदाता बने हैं। मतदाता सूची में शामिल करीब 1.41 करोड़ महिला मतदाताओं ने नए नामांकित पुरुष मतदाताओं (1.22 करोड़) को पीछे छोड़ दिया। नयी महिला मतदाताओं की संख्या पुरुषों की तुलना में 15 फीसदी से अधिक रहा।
● लिंग अनुपात 2023 में 940 से बढ़कर 2024 में 948 हो गया।
. युवा जुड़ाव: दो करोड़ से अधिक युवा मतदाता 18-19 और 20-29 आयु समूहों को चुनावी कवायद में जोड़ा गया है।
● दिव्यांग मतदाताओं को सशक्त बनाना का भी एक सराहनीय प्रयास किया गया है।
संजय
वार्ता