मनोरंजनPosted at: May 27 2016 1:23PM पहली सवाक् फिल्म का नायक बनने से रह गए थे महबूब खान
मुंबई 27 मई (वार्ता) हिन्दी सिनेमा जगत के युगपुरूष महबूब खान को एक ऐसी शख्सियत के तौर पर याद किया जाता है जिन्होंने दर्शकों को लगभग तीन दशक तक क्लासिक फिल्मों का तोहफा दिया। कम लोगों को पता होगा कि भारत की पहली बोलती फिल्म ‘आलम आरा’ के लिये महबूब खान का अभिनेता के रूप में चयन किया गया था लेकिन फिल्म निर्माण के समय आर्देशिर ईरानी ने महसूस किया कि फिल्म की सफलता के लिए नये कलाकार को मौका देने के बजाय किसी स्थापित अभिनेता को यह भूमिका देना सही रहेंगा। बाद में उन्होंने महबूब खान की जगह मास्टर विट्ठल को इस फिल्म में काम करने का अवसर दिया। महबूब खान .मूल नाम रमजान खान. का जन्म 1906 में गुजरात के बिलमिरिया में हुआ था। वह युवावस्था में घर से भागकर मुंबई आ गये और एक स्टूडियों में काम करने लगे। उन्होंने अपने सिने कैरियर की शुरूआत 1927 में प्रदर्शित फिल्म ‘अलीबाबा एंड फोर्टी थीफस’ से अभिनेता के रूप में की। इस फिल्म में उन्होंने चालीस चोरों में से एक चोर की भूमिका निभायी थी। इसके बाद महबूब सागर मूवीटोन से जुड़ गये और कई फिल्मों में सहायक अभिनेता के रूप में काम किया। वर्ष 1935 में उन्हें ‘जजमेंट आफ अल्लाह’ फिल्म के निर्देशन का मौका मिला। अरब और रोम के बीच युद्ध की पृष्ठभूमि पर आधारित यह फिल्म दर्शको को काफी पसंद आई।