उदयपुर, 22 अगस्त (वार्ता) केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने कहा कि विकसित भारत- 2047 के संकल्प को पूरा करने में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्योगों की महती भूमिका रहेगी। इसलिए बजट में इन्हें विशेष प्राथमिकता दी गयी हैं।
श्रीमती सीतारमण गुरुवार शाम को उदयपुर के सुखेर औद्योगिक क्षेत्र स्थित मार्बल भवन में एमएसएमई मार्बल कलस्टर इकाइयों से चर्चा कार्यक्रम को संबोधित कर रही थीं। कार्यक्रम की अध्यक्षता केन्द्रीय सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्री जीतनराम मांझी ने की। श्रीमती सीतारमण ने कहा कि भारत की संस्कृति और समृद्धि में मेवाड़ का योगदान शब्दों में बयां नहीं किया जा सकता। बजट घोषणाओं को लागू करने में ग्राउंड जीरो पर हितधारकों से संवाद आवश्यक है और इसका विशेष महत्व है। बजट जनता के लिये होता है, बजट जनता के बीच आने के बाद फीडबैक के आधार पर हम संशोधन करते हैं। एमएसएमई की भागीदारी 2047 के विजन को साकार करने में प्रमुख है।
उन्होंने कहा कि इसलिये बजट में इसे विशेषज्ञ प्राथमिकता दी गयी है। इसी कड़ी में अब देश भर के 250 एमएसएमई कलस्टर से संवाद कार्यक्रम किये जाने हैं, जिसका आगाज आज उदयपुर में मार्बल कलस्टर से हो रहा है। उन्होंने कहा कि मेवाड़ क्षेत्र की एमएसएमई इंडस्ट्री की आवश्यकताओं को समझने के लिये हितधारकों से चर्चा करना आवश्यक है।
श्रीमती सीतारमण ने बताया कि स्मॉल इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट बैंक (सिडबी) द्वारा अब सीधे ही सूक्ष्म उद्योगों को ऋण मुहैया करवाया जा रहा है, जो कि बड़ी राहत की बात है। इससे सूक्ष्म उद्योगों को सुविधाजनक ऋण आसानी से उपलब्ध हो जायेगा।
श्री मांझी ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुये कहा कि देशभर में ऐसे संवाद कार्यक्रमों के माध्यम से बेरोजगारी दूर करने की दिशा में प्रयास किया जा रहा है। बेरोजगारी दूर करने में एमएसएमई क्षेत्र का बड़ा योगदान है। सूक्ष्म और लघु उद्योग भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, जिसका योगदान देश की अर्थव्यवस्था में 30 फीसदी है और देश के 20 करोड़ लोगों को रोजगार प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि हमारे लिये गर्व का विषय है कि देश आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में विश्व की पांचवी बड़ी अर्थव्यवस्था है। शीघ्र ही देश विश्व की तीसरी बड़ी अर्थव्यवस्था बनने जा रहे हैं जो कि एक सुखद अहसास है। जहां वैश्विक आर्थिक प्रगति की दर 3.2 फ़ीसदी है वहीं भारत आर्थिक प्रगति के मामले में सात फ़ीसदी की दर से बढ़ रहा है।
उन्होंने बताया कि वर्ष 2014 में 10.3 लाख करोड़ का बैंकों को एमएसएमई मंत्रालय द्वारा क्रेडिट दिया गया, जबकि वर्ष 2023 में यह राशि बढ़कर 22.6 लाख करोड़ हो गयी। इस वर्ष भी भारत सरकार के बजट में एमएसएमई को विशेष बल दिया गया है, जहां मुद्रा लोन की राशि 10 लाख से बढ़कर 20 लाख कर दी गयी है।
श्री माँझी ने कहा कि सूक्ष्म उद्योगों पर विशेष ध्यान देने से ही हम देश को विकसित देशों की श्रेणी में ले जा सकते है।
वित्त सचिव एम नागराजू ने कहा कि एमएसएमई क्षेत्र का रोजगार और सकल घरेलू उत्पाद में बड़ा योगदान है। केंद्र सरकार 2047 तक विकसित भारत की परिकल्पना को साकार करने के लिये संकल्पबद्ध है और इस लक्ष्य की प्राप्ति में एमएसएमई की बड़ी भूमिका होगी। उन्होंने कहा कि रोजगार सृजन केंद्र सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता है।
रामसिंह.श्रवण
वार्ता