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मोदी ने काशी में क्रूज-‘एमवी गंगा विलास’ को दिखाई हरी झंडी, कहा नदी मार्ग का उपयोग बढ़ रहा है

मोदी ने काशी में क्रूज-‘एमवी गंगा विलास’ को दिखाई हरी झंडी, कहा नदी मार्ग का उपयोग बढ़ रहा है

नयी दिल्ली 13 जनवरी (वार्ता) प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने शुक्रवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से वाराणसी में विश्व के सबसे लंबे रिवर क्रूज-एमवी गंगा विलास को हरी झंडी दिखाई और काशी के गंगापार क्षेत्र में नई टेंट सिटी का उद्घाटन किया।

श्री मोदी ने कहा कि सरकार के विभिन्न प्रयासों से आज देश में नदी जलमार्ग का उपयोग बढ़ रहा है। यात्री-पोत एमवी गंगा विलास 51 दिन में 3200 किलो मीटर का मार्ग तय कर असम में डिब्रूगढ़ तक जाएगा।

श्री मोदी ने समारोह के प्रारंभ में हर हर महादेव का उद्घोष करने के साथ लोगों को लोहड़ी और मकर संक्रांति की बधाई दी।इस कार्यक्रम में विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्री, उपमुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, पर्यटन उद्योग के प्रतिनिधि तथा देश-विदेश से वाराणसी पहुंचे पर्यटक और अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।

प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा, “आज लोहड़ी का उमंग भरा त्यौहार है। आने वाले दिनों में हम उत्तरायण, मकर संक्रांति, भोगी, बीहू, पोंगल जैसे अनेक पर्व भी मनाएंगे। मैं देश और दुनिया में इन त्योहारों को मना रहे सभी लोगों को बधाई देता हूं, अपनी शुभकामनाएं देता हूं।”

श्री मोदी ने कहा कि हमारे पर्वों, दान-दक्षिणा, तप-तपस्या, हमारे संकल्पों की सिद्धि के लिए हमारी आस्था, हमारी मान्यता का एक अपना महत्व है। इसमें भी हमारी नदियों की भूमिका महत्वपूर्ण है। ऐसे समय में हम सभी नदी जलमार्गों के विकास से जुड़े इतने बड़े उत्सव के साक्षी बन रहे हैं।

उन्होंने कहा कि देश में नदी जलमार्गों का इस्तेमाल करने वाले लोगों की संख्या भी लगातार बढ़ रही है। इसमें भी गंगा पर बन रहा ये नेशनल वॉटर-वे, पूरे देश के लिए एक मॉडल की तरह विकसित हो रहा है। आज ये वॉटर-वे, ट्रांसपोर्ट, ट्रेड और टूरिज्म, तीनों के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम बन रहा है।

श्री मोदी ने कहा कि वर्ष 2014 में सिर्फ पांच राष्ट्रीय जलमार्ग देश में थे। आज 24 राज्यों में 111 राष्ट्रीय जलमार्गों को विकसित करने पर काम हो रहा है। इनमें से लगभग 24 जलमार्गों पर सेवाएं अभी चल रही हैं। आठ वर्ष पहले तक सिर्फ 30 लाख टन कार्गो ही नदी जलमार्गों से परिवजन होता था। आज इसकी क्षमता तीन गुणा से भी अधिक हो चुकी है।

श्री मोदी ने कहा , “ क्रूज टूरिज्म के लिए ऐसी ही व्यवस्थाएं हम देशभर के नदी जलमार्गों में तैयार कर रहे हैं। शहरों के बीच लंबे रिवर क्रूज के अलावा हम अलग-अलग शहरों में छोटे क्रूज को भी बढ़ावा दे रहे हैं। काशी में भी इस प्रकार की व्यवस्था अभी चल रही है। ये हर पर्यटक वर्ग की पहुंच में हो इसके लिए बजट से लेकर लक्ज़री क्रूज़ तक, हर प्रकार की सुविधाएं देश में विकसित की जा रही हैं।”

श्री मोदी ने कहा, “आज मेरी काशी से डिब्रूगढ़ के बीच दुनिया की सबसे लंबी नदी जलयात्रा- गंगा विलास क्रूज़ का शुभारंभ हुआ है। इससे पूर्वी भारत के अनेक पर्यटक स्थल, वर्ल्ड टूरिज्म मैप में और प्रमुखता से आने वाले हैं।” उन्होंने काशी में गंगा पार निर्मित नए ‘अद्भुत टेंट शहर’ शहर का उल्लेख करते हुए कहा कि वहां आने और रहने का एक और बड़ा कारण, देश-दुनिया के पर्यटकों-श्रद्धालुओं को मिला है।

क्रूज के उद्घाटन के साथ ही आज प्रधानमंत्री पश्चिम बंगाल में मल्टी-मॉडल टर्मिनल, यूपी और बिहार में फ्लोटिंग जेटी, असम में मैरीटाइम स्किल सेंटर, शिप रिपेयर सेंटर, टर्मिनल कनेक्टिविटी प्रोजेक्ट, ऐसे एक हज़ार करोड़ रुपए से अधिक के प्रोजेक्ट्स का भी शिलान्यास और लोकार्पण किया। उन्होंने कहा कि ये परियोजनाएं पूर्वी भारत में व्यापार और से जुड़ी संभावनाओं का विस्तार करने वाले हैं, रोजगार के नए अवसर बनाने वाले हैं।

प्रधानमंत्री ने क्रूज पर सफर कर रहे सभी विदेशी पर्यटकों का विशेष रूप से अभिनंदन करते हुए कहा, ‘ आप सभी एक प्राचीन शहर से एक आधुनिक क्रूज़ से सफर करने जा रहे हैं। मैं अपने इन विदेशी पर्यटक साथियों से विशेष तौर पर कहूंगा कि भारत में वह सब कुछ है जिसकी आप कल्पना कर सकते हैं। इसमें आपकी कल्पना से परे भी बहुत कुछ है।”

श्री मोदी ने कहा, “ भारत को शब्दों में परिभाषित नहीं किया जा सकता है। भारत को केवल दिल से अनुभव किया जा सकता है। भारत ने सभी के लिए हमेशा अपना दिल खोला है, चाहे वह किसी भी क्षेत्र या धर्म, पंथ या देश का हो। हम विश्व के विभिन्न भागों से आए अपने सभी पर्यटक मित्रों का स्वागत करते हैं।”

श्री मोदी ने कहा कि ये क्रूज यात्रा एक साथ अनेक नए अनुभव लेकर आने वाली है। ये जो लोग इसमें से आध्यात्म की खोज में हैं, उन्हें वाराणसी,काशी, बोधगया, विक्रमशिला, पटना साहिब और माजुली की यात्रा करने का सौभाग्य मिलेगा। जो बहु-राष्ट्रीय आलीशान विदेश क्रूज का अनुभव लेना चाहते हैं, उन्हें ढाका से होकर गुजरने का अवसर मिलेगा।

उन्होंने कहा कि जो भारत की प्राकृतिक विविधता को देखना चाहते हैं, उन्हें ये क्रूज सुंदरबन और असम के जंगलों की सैर कराएगा। जिन लोगों की रुचि भारत में नदियों से जुड़े सिस्टम को समझने में है, उनके लिए ये यात्रा बहुत महत्वपूर्ण होगी। क्योंकि ये क्रूज 25 अलग-अलग नदियों या नदी धाराओं से होकर गुजरेगा। और जो लोग भारत के समृद्ध खान-पान का अनुभव लेना चाहते हैं, उनके लिए भी ये बेहतरीन अवसर है। यानि भारत की विरासत और आधुनिकता का अद्भुत संगम हमें इस यात्रा में देखने को मिलेगा। क्रूज़ टूरिज्म का ये नया दौर इस क्षेत्र में हमारे युवा साथियों को रोजगार-स्वरोजगार के नए अवसर भी देगा। विदेशी पर्यटकों के लिए तो ये आकर्षण होगा ही, देश के भी जो पर्यटक पहले ऐसे अनुभवों के लिए विदेश जाते थे, वे अब पूर्वी भारत का रुख कर पाएंगे। ये क्रूज जहां से भी गुजरेगा, वहां विकास की एक नई लाइन तैयार करेगा।

प्रधानमंत्री ने कहा आज गंगा विलास क्रूज की शुरुआत होना भी एक साधारण घटना नहीं है। जैसे कोई देश जब अपने दम पर सैटेलाइट को अंतरिक्ष में स्थापित करता है, तो वो उस देश की तकनीकी दक्षता को दिखाता है। उन्होंने कहा कि 3200 किलोमीटर से ज्यादा लंबा यह सफर देश में इनलैंड वॉटर-वे के विकास, नदी जलमार्गों के लिए बन रहे आधुनिक संसाधनों का एक ज्वलंत उदाहरण है। वर्ष 2014 से पहले देश में वॉटर-वे का थोड़ा-बहुत ही उपयोग होता था। ये हाल तब था, जब भारत में वॉटर-वे के माध्यम से व्यापार का हजारों साल पुराना इतिहास था। 2014 के बाद से भारत, अपनी इस पुरातन ताकत को आधुनिक भारत के ट्रांसपोर्ट सिस्टम की बड़ी शक्ति बनाने में जुटा है। हमने देश की बड़ी नदियों में नदी जलमार्गों के विकास के लिए कानून बनाया है, विस्तृत कार्य योजना बनाया है।

श्री मोदी ने कहा आज का ये आयोजन, पूर्वी भारत को विकसित भारत का ग्रोथ इंजन बनाने में भी मदद करेगा। पश्चिम बंगाल के हल्दिया में आधुनिक मल्टी-मॉडल टर्मिनल वाराणसी को जोड़ता है। भारत- बंगलादेश प्रोटोकॉल मार्ग से भी कनेक्टेड है और पूवोत्तर को भी जोड़ता है। यह कोलकाता बंदरगाह और बंगलादेश को भी जोडता करता है। यह उत्तर प्रदेश-बिहार-झारखंड-पश्चिम बंगाल से लेकर बंगलादेश तक व्यापार-कारोबार को सुगम बनाने वाला है। इसी प्रकार जेटी और रो-रो फेरी टर्मिनलों का भी नेटवर्क बनाया जा रहा है। इससे आना-जाना भी आसान होगा, मछुआरों को, किसानों को भी सुविधा होगी।

उन्होंने कहा कि क्रूज हो, कार्गो शिप हो, ये ट्रांसपोर्ट और पर्यटन को तो बल देते ही हैं, इनकी सेवाओं से जुड़ी पूरे उद्योग भी नए अवसरों का निर्माण करती है। इसके लिए जो स्टाफ चाहिए, जो कौशल चाहिए, उसके लिए भी प्रशिक्षण का प्रबंध आवश्यक है। इसके लिए गुवाहाटी में कौशल विकास केन्द्र बनाया गया है। जहाजों की मरम्मत के लिए भी गुवाहाटी में एक नई फैसिलिटी का निर्माण किया जा रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जलमार्ग पर्यावरण की रक्षा के लिए भी अच्छे हैं और पैसों की भी बचत करते हैं। एक अध्ययन के मुताबिक, सड़क के मुकाबले जलमार्ग से परिवहन की लागत ढाई गुना कम आती है। वहीं रेल के मुकाबले जलमार्ग से परिवहन की लागत एक तिहाई कम होती है। आप कल्पना कर सकते हैं कि वॉटर-वे से ईंधन की कितनी बचत होती है, पैसा कितना ज्यादा बचता है। भारत ने जो नई लॉजिस्टिक्स पॉलिसी बनाई है, उसमें भी तेजी से बन रहे ये वॉटरवेज बहुत मदद करने वाले हैं। इसमें भी बहुत महत्वपूर्ण बात ये कि भारत में हजारों किलोमीटर लंबा वॉटरवे नेटवर्क तैयार होने की क्षमता है।

श्री मोदी ने कहा कि देश में सवा सौ से ज्यादा नदियां और जल धाराएं हैं। लोगों और सामान के लिए परिवहन करने में इनका इस्तेमाल किया जा सकता है। ये सभी जलमार्ग देश में बंदरगाहों के विकास को भी बढ़ाने में मदद करेंगे। हमने बंगलादेश और अन्य देशों के साथ समझौते भी किए हैं, जिससे पूर्वोत्तर की वॉटर कनेक्टिविटी भी सशक्त हो रही है।

प्रधानमंत्री ने कहा विकसित भारत के निर्माण के लिए सशक्त कनेक्टिविटी की जरूरत है। इसलिए हमारा ये अभियान निरंतर चलता रहेगा। नदी जलशक्ति, देश के व्यापार और पर्यटन को नई बुलंदी पर ले जाएगा। इसी कामना के साथ सभी क्रूज़ यात्रियों को सुखद यात्रा के लिए अनेक-अनेक शुभकामनाएं देता हूं। आप सबको बहुत-बहुत धन्यवाद !

उप्रेती मनोहर

वार्ता

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