जम्मू, 10 अक्टूबर (वार्ता) केंद्रीय मंत्री डॉ़ जितेंद्र सिंह ने रविवार को कहा कि केन्द्र सरकार कृषि स्टार्ट-अप को विशेष प्रोत्साहन दे रही है और प्रधान मंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में यह देश में कृषि का स्वर्णिम दौर है और उनके नेतृत्व में कृषि में तकनीकी पहल, अनुसंधान तथा नवाचार 2022 तक किसानों की आय को दोगुना कर देगा।
जम्मू, एसकेयूएएसटी में मुख्य अतिथि के रूप में पांच दिवसीय उत्तर भारत क्षेत्रीय कृषि मेला 2021 के समापन समारोह को संबोधित करते हुए, डॉ़ सिंह ने कहा कि श्री मोदी भारत में कृषि विकास के प्रति गंभीर हैं, जिसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कृषि को बढ़ावा देने और 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के लिए हाल ही में दो नए मंत्रालय, जल शक्ति और कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय बनाए गए हैं।
उन्होंने कहा कि इसकी एक महत्वपूर्ण कड़ी भूजल प्रबंधन के लिए हाल ही में शुरू की गई 'हेली-बोर्न सर्वे टेक्नोलॉजी' है और पीने और कृषि उद्देश्यों के लिए शुष्क क्षेत्रों में भूजल संसाधनों का मानचित्रण करना है। डॉ़ सिंह ने कहा कि वर्तमान सरकार के कार्यकाल में देश में कृषि और कृषि उत्पादन में क्रांतिकारी बदलाव आया है जो मृदा स्वास्थ्य कार्ड, नीम लेपित यूरिया, प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, किसानों के कल्याण के लिए सरकार द्वारा की गई विभिन्न पहलों से स्पष्ट है। किसान सम्मान, ई-नाम, प्रधानमंत्री मानधन योजना ने न केवल कृषि क्षेत्र को आर्थिक और संसाधन रूप से सशक्त बनाया है, बल्कि उन किसानों को भी सम्मान और तबज्जो दी है जिनका कोई ध्यान नहीं रखता था।
डॉ़ सिंह ने कृषि और नवाचार के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर में किए गए विकास प्रयासाेें का जिक्र करते हुए कहा कि उत्तर भारत के पहले जैव प्रौद्योगिकी पार्क की स्थापना, कठुआ में दो उच्च बीज प्रसंस्करण संयंत्र, भारत के पहले अरोमा मिशन का शुभारंभ विकास जम्मू में कृषि में नवाचार के नए रास्तों को खोलेगा।
डॉ़ सिंह ने इस अवसर पर उपस्थित किसानों से बात करते हुए इस बात पर जोर दिया कि एक किसान अब अपनी क्षमता, संसाधनों के आधार पर खुद को कई गतिविधियों में शामिल कर सकता है क्योंकि अब भंडारण गृहों में काम खत्म हो गया है। उन्होंने कहा कि सरकार की जिम्मेदारी है कि किसान को हर तरह से सुविधा प्रदान की जाए और इसमें किसी भी तरह की कोई लापरवाही नहीं बरती जा रही है।
डॉ. सिंह ने विभिन्न नवोन्मेषी कृषि पद्धतियों में शामिल उद्यमियों का उदाहरण देते हुए मौजूद छात्रों से आग्रह किया कि उन्हें नौकरी मांगने के बजाए नौकरी देने के लिए प्रयास करना चाहिए और स्टार्ट-अप के माध्यम से कृषि टेक्नोक्रेट बनकर नए भारत के निर्माण में सहयोग दें क्योंकि भारत में कृषि अब 19वीं सदी की तरह पारंपरिक खेती नहीं रह गई है। जितेन्द्र वार्ता