वाराणसी, 27 मई (वार्ता) लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत के बाद प्रथम वाराणसी दौरे पर आये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को पद्मश्री ‘बिरहा सम्राट’ हीरा लाल यादव को याद करते हुए उन्हें अपनी श्रद्धांजलि दी।
श्री मौदी ने बड़ा लालपुर के पंडित दीन दयाल उपाध्याय हस्तकला संकुल में आयोजित अभिनंदन समारोह में अपने संबोधन के दौरान पद्मश्री यादव को याद करते हुए कहा कि उन्होंने संगीत साधना में बहुत बड़ा योगदान दिया था। उनके द्वारा छोड़ी गई इस विरासत पर हम सब का गर्व बना रहे।
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) की ओर से अपने सम्मान में आयोजित अभिनंदन समारोह को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, “इस वर्ष हमने जिनको पद्मश्री दिया था वो हीरा लाल जी हम सब के बीच रहे, जिन्होंने संगीत साधना में बहुत बड़ा योगदान दिया। आज जब उनके स्वर्गावास के बाद पहली बार यहां आया हूं, मैं आदरपूर्वक उनको श्रद्धांजलि देता हूं।”
श्री माेदी ने कहा, “मैंने हीरा लाल जी के परिवारजनों बात थी, लेकिन उन्होंने जो विरासत छोड़ी है, उसके प्रति हम सबका गर्व बना रहे।”
पद्मश्री यादव ने पूर्वांचल के लोक गीतों को अपने बचपन के दिनों में भैंस चराने के दौरान शौकिया शुरूआत की थी। बाद में अनेक देशभक्ति एवं धार्मिक लोक गीतों के माध्यम से उन्होंने बिराहा को राष्ट्रीय फलक तक पहुंचाने में कामयाबी हासिल की और दशकों तक करोड़ों लोक संगित प्रेमियों के दिलों पर राज किया।
बिरहा सम्राट कई महीने से बीमार थे। हालत नाजुक होने के बाद उन्हें एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया गया था। उन्होंने इस वर्ष 12 मई को उनका निधन हो। वह 83 वर्ष के थे। जन्म 1936 में वाराणसी के हरहुआ के बलवरिया गांव में एक गरीब परिवार में हुआ था। वह वाराणसी के चौका इलाके में अपने परिवार के साथ रह रहे थे। उनके परिवार में पत्नी श्यामा देवी, बेटे सत्यनाराण यादव समेत भरापुरा परिवार है।
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने इस वर्ष मार्च में उन्हें पद्मश्री सम्मान से सम्मानि किया था। लोक गायकी के क्षेत्र में उल्लेखनीय योदान के लिए इससे पहले भी उन्हें कई सम्मान मिले थे। उत्तर प्रदेश सरकार ने वर्ष 2014 में प्रतिष्ठित ‘यश भारती’ से सम्मानित किया था। संगीत नाटक अकादमी समेत अनेक सम्मान पाने का उन्हें गौरव हासिल है।
वर्ष 1962 में आकाशवाणी एवं फिर दूरदर्शन के जरिये उन्होंने बिराह गीत को खास पहचान दिलायी। उत्तर प्रदेश के पूर्वांचल और बिहार के एक बड़े हिस्से में उनके गीत के करोड़ों दीवाने आज भी मौजूद हैं।
बीरेंद्र प्रदीप
वार्ता