जयपुर, 11 अप्रैल (वार्ता) राजस्थान में लोकसभा चुनाव के भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी की छवि के साथ राष्ट्रवाद के मुद्दों पर चुनाव लड़ रही है जबकि कांग्रेस ने पाकिस्तान पर सैन्य कार्रवाई
को चुनावी मुद्दा बनाने पर भाजपा को आड़े हाथों लेने के साथ रोजगार, मंहगाई, नोटबंदी एवं जीएसटी को मुद्दा
बनाया है।
राज्य में पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे को मुख्यधारा से अलग करने के बाद भाजपा संगठन बिखरा हुआ सा
लग रहा है तथा कई नेताओं ने कांग्रेस का दामन थाम लिया। भाजपा का कोई बड़ा प्रादेशिक नेता दिखाई नहीं
दे रहा है जो कांग्रेस के मुद्दों का जवाब दे सके। विधानसभा चुनाव में हुई भाजपा की हार के पीछे के कुछ
कारण अब भी परेशान कर रहे हैं तथा पार्टी कोई ठोस हल नहीं निकाल पाई है।
जोधपुर से उम्मीदवार एवं केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को विधानसभा चुनाव से पहले प्रदेशाध्यक्ष
बनाने के प्रयास और बाद में विरोध के स्वर उठने तथा मानवेंद्र सिंह के पाला बदलने के बाद से आई राजपूत
समाज में खटास अब तक पूरी नहीं मिट पाई है। सांसद कर्नल सोनाराम का टिकट काटकर पार्टी ने पश्चिम
राजस्थान में जाटों से भी बैर ले लिया।
भाजपा को नुकसान पहुंचाते रहे डा० किरोड़ी लाल मीणा की घर वापसी का भी विधानसभा चुनाव में
कोई फायदा नहीं मिला तथा लोकसभा चुनाव में भी डा० मीणा के नेतृत्व को उन्हीं के समाज से चुनौती
मिलने लगी है।
सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के कयास के चलते गुर्जर समाज ने भी कांग्रेस का विधानसभा चुनाव
में पूरा साथ दिया था, लेकिन श्री पायलट को सरकार का नेतृत्व नहीं देने से गुर्जर समाज की नाराजगी का
फायदा भी भाजपा को मिलता दिखाई नहीं दे रहा। पार्टी का प्रदेश नेतृत्व फिलहाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की
छवि के भरोसे ही है।
कांग्रेस में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने भाजपा की राष्ट्रवादी नारों को पकड़ते हुए उसमें दोहरापन सामने
लाने का प्रयास किया है। श्री गहलोत यह कई बार कह चुके हैं कि हम भी हिंदू हैं तथा पाकिस्तान के खिलाफ
सैन्य कार्रवाई के लिये सेना की प्रशंसा करते हैं, लेकिन यह सब चुनावी मुद्दा नहीं हो सकते।
श्री गहलोत ने केंद्र में कांग्रेस की सरकार बनने पर नोटबंदी की जांच कराने की घोषणा करते हुए भाजपा
को रोजगार नहीं देने, मंहगाई बढ़ने तथा समाज में वैमनस्य फैलाने के लिये कटघरे में खड़ा करने का प्रयास
किया है। उन्होंने मतदाताओं को यह भी चेताने का प्रयास किया है कि नरेंद्र मोदी दुबारा प्रधानमंत्री बने तो
लोकतंत्र खत्म हो जायेगा तथा आगे चुनाव नहीं होंगे।
उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट ने भी नोटबंदी, जीएसटी, मंहगाई के मुद्दों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
पर तीखे हमले किये हैं। इधर केंदीय मानव संसाधन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर का कहना है कि कांग्रेस सिमट रही
है तथा खत्म होने के डर से लोकतंत्र के खत्म होने का खतरा बता रही है।
पारीक सुनील
वार्ता