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प्रवासी पक्षियों के मार्गों की निगरानी से बर्ड फ्लू की चेतावनी

प्रवासी पक्षियों के मार्गों की निगरानी से बर्ड फ्लू की चेतावनी

नयी दिल्ली 10 नवंबर (वार्ता) पक्षियाें की घातक बीमारी बर्ड फ्लू का पूर्वानुमान लगाने और इसकी चेतावनी जारी करने के लिए प्रवासी पक्षियों के मार्गों का अध्ययन किया जा रहा है और इसके लिए भारतीय वैज्ञानिकों को भी आमंत्रित किया गया है। वैज्ञानिक बर्ड फ्लू के प्रसार को रोकने के लिए बैड़े पैमाने पर शोध कार्य कर रहे हैं। ताजा शोध में कहा गया है कि प्रवासी पक्षी बर्ड फ्लू के खतरनाक वायरस को दुनिया के कोने -कोने तक पहुंचा सकते हैं। विश्व के 32 संस्थानों की एक टीम ने अपने अध्ययन में कहा है कि जंगली पक्षियों के प्रवासी मार्गों और उनके ज्ञात प्रजनन स्थलों पर कड़ी निगरानी रखकर बर्ड फ्लू के फैलने की पूर्व चेतावनी जारी की जा सकती है। मुख्य शोधकर्ता इंग्लैंड के इडेनबर्ग विश्वविद्यालय के रॉजलिंग इंस्टीट्यूट की पोस्ट डॉक्टरल रिसर्च फेलो सामेंथा लाइसेट ने आज यूनीवार्ता को फोन पर बताया “ अच्छी निगरानी, तेजी से डाटा साझा करने और देशों के आपस में सहयोग से यह पता किया जा सकता है कि कैसे महाद्वीपों में बर्ड फ्लू फैलता है। वर्ष 2014 की शुरूआत में दक्षिण कोरिया में फैले एच 5 एन 8 वायरस पर अनुसंधान किया गया जो 2014 की शरद ऋतु और 2015 की वसंत ऋतु तक जापान ,उत्तरी अमेरिका एवं यूरोप में फैल गया । एच 5 एन 8 वायरस से संक्रमित जंगली पक्षियों के प्रवास तरीकों का अध्ययन किया गया और इस वायरस से संक्रमित1 6 देशों के पक्षियों के अानुवांशिक कोड की तुलना की गयी जिससे पता चला कि बहुत हद तक संक्रमित जंगली पक्षी आर्कटिक में अपने प्रजनन स्थल से एशिया से यूरोप और वहां से अमेरिका पहुंचे।” उन्होंने भरोसा जताया कि पॉल्ट्री फार्माें की सुरक्षा बढ़ाकर प्रवासी पक्षियों के संक्रमण से बचा जा सकता है। उन्होंने बताया कि बर्ड फ्लू की कुछ श्रेणियां पक्षियों में बेहद खतरनाक होती हैं जिससे विश्व की पॉल्ट्री फार्माें के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गयी है। दुर्लभ मामलों में, कुछ वायरस इंसानों को भी संक्रमित कर सकते हैं और जानलेवा बीमारी के कारण बन सकते हैं। सावधानी नहीं बरतने पर एच 5 एन 8 वायरस भी मनुष्यों के लिए खतरा हो सकता है । दरअसल हाइली पैथोजेनिक एवियन इंफ्लूएंजा (एचपीएआई) से संक्रमित होने वाले पक्षियों के जीवित बचने की कोई गुंजाइश नहीं होती और कुछ दिनों के अंदर ही उनकी मौत हो जाती है। आशा उपाध्याय जितेन्द्र जारी वार्ता

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