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मंदिर के आसपास मस्जिद या मीनार स्वीकार्य नहीं : निश्चलानंद

मंदिर के आसपास मस्जिद या मीनार स्वीकार्य नहीं : निश्चलानंद

 कुंभनगर 31 जनवरी (वार्ता) अयोध्या में विवादित स्थल पर राम मंदिर निर्माण के मसले में संतों और हिन्दू संगठनों से एकजुटता का परिचय देने की अपील करते हुये पुरी के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद ने गुरूवार को कहा कि मंदिर के आसपास कोई भी मस्जिद संत समाज को स्वीकार्य नहीं होगी।

       उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात करने के बाद पत्रकारों से बातचीत में स्वामी निश्चलानंद ने कहा कि श्री योगी ने उनको आश्वासन दिया है कि मंदिर निर्माण को लेकर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) सरकार का रवैया संत समाज के पक्ष में है हालांकि यह संवेदनशील मसला उच्चतम न्यायालय में विचाराधीन है। न्यायपालिका की गरिमा और संविधान की मर्यादा बरकरार रखने के लिये सरकार कृतसंकल्पित है। सरकार इस मामले में न्यायालय के निर्णय का इंतजार करेगी।



      श्री योगी ने कहा कि इस मामले का शीघ्र और अनुकूल निर्णय मिलने की संभावना क्षीण है। सरकार ने न्यायालय की सुविधा के लिये दस हजार पृष्ठों की सामग्री का अंग्रेजी अनुवाद करके उपलब्ध कराया है। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार के समय पुरातत्व विभाग द्वारा विवादित स्थल के आसपास कराये गये खनन में भी मंदिर के अवशेष मिले थे। इस लिये देर से ही सही मगर अदालत के फैसले से संत और हिन्दू समाज निराश नहीं होगा।



     संत ने हालांकि कहा कि सत्ता लोलपुता,दूरदर्शिता की चपेट से भाजपा समेत कोई भी राजनीतिक दल विमुक्त नहीं है। सैद्धांतिक धरातल में भारत आज भी परतंत्र है। देश को राजनैतिक क्षेत्र में आमूलचूल परिवर्तन की जरूरत है।

शंकराचार्य ने कहा कि विहिप, अहिप और संघ समेत सभी हिन्दू संगठनो के अलावा राजनैतिक दलों में बंटे संत समाज को मंदिर निर्माण के लिये एकजुट हो जाना चाहिये। केवल उत्तर प्रदेश में ही संत समाज सपा,बसपा,भाजपा और कांग्रेस में बंटा हुआ है जो निश्चित रूप से नुकसानदेह है।

      उन्होने कहा कि उनका स्पष्ट मत है कि विवादास्पद भूमि के इर्द गिर्द संत समाज को कोई भी मस्जिद स्वीकार्य नही होगी। मुगल शासक और आततायी बाबर के नाम की कोई भी मस्जिद या मीनार को देश में होने का कोई औचित्य नही है। बाबर के नाम की मस्जिद को उसकी कब्र के आसपास बनवाना न्यायसंगत होगा। मुसलमानो के प्रति हिन्दुओं के सौहाद्रपूर्ण रवैये को समाज की दुर्बलता समझना नादानी होगी।

     इससे पहले विश्व हिन्दू परिषद (विहिप) की दो दिवसीय धर्म संसद में भाग लेने के लिये उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गुरूवार सुबह प्रयागराज पहुंच गये। धर्म संसद में भाग लेने के लिये राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत बुधवार शाम ही यहां पहुंच गये थे।

       श्री योगी ने यहां पहुंचने के तुरंत बाद संतों और संघ प्रमुख से मुलाकात की। शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती की अध्यक्षता में बुधवार को यहां हुयी परम धर्म संसद में अयोध्या में 21 फरवरी को राम मंदिर निर्माण के लिये शिलान्यास करने का एलान किया गया था। शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद को कांग्रेस का करीबी समझा जाता है।

    श्री योगी समेत कई प्रख्यात संत महात्माओं से मुलाकात कर करेंगे। विहिप प्रवक्ता शरद शर्मा ने यूनीवार्ता को बताया कि धर्म संसद में देश भर से पांच हजार से अधिक संतों के भाग लेने की संभावना है।

दिनेश/प्रदीप

वार्ता

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