लखनऊ 19 फरवरी,(वार्ता) उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने दावा किया कि देश के ज्यादातर किसान नये कृषि कानून के पक्ष में है और केन्द्र सरकार द्वारा लागू किये गये किसान कानूनों का फायदा किसानों को मिलेगा। इससे उनकी आय में निरन्तर वृद्धि तो होगी ही, साथ ही वे खुशहाल और सम्पन्न बन सकेंगे।
विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा के दौरान श्री योगी ने शुक्रवार को कहा कि राज्य सरकार प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में किसानों की खुशहाली के लिए सभी प्रयास कर रही है। किसान राज्य सरकार की प्राथमिकता हैं। कृषि कानूनों को किसानों की आय दोगुना करने के उद्देश्य से लागू किया गया है। साथ ही, कानून के जरिये अन्नदाताओं को बिचौलियों से बचाने की भी व्यवस्था की गयी है।
श्री योगी ने कहा कि उनकी सरकार के कार्यकाल के दौरान प्रत्येक फसली वर्ष में किसानों से एमएसपी पर गेहूं, धान इत्यादि फसलों की जितनी खरीद प्रत्येक वर्ष की गई है, उतनी खरीद पिछली सरकारों के पूरे कार्यकालों में भी नहीं की गयी है। गेहूं और धान की खरीद के लिए बड़ी संख्या में क्रय केन्द्र स्थापित करते हुए बड़े पैमाने पर खरीद की गयी। किसानों को उनकी उपज के मूल्य का भुगतान डीबीटी के माध्यम से उनके खातों में किया जा रहा है। अब बिचौलियों की कोई भूमिका नहीं रह गयी है।
उन्होने कहा कि केन्द्र सरकार एमएसपी का निर्धारण करते हुए बड़े पैमाने पर सरकारी खरीद कर रही है। जितना प्रोक्योरमेन्ट पिछले साढ़े तीन वर्षाें में हुआ है, उतना पिछली सरकारों के कार्यकाल में नहीं हुआ। सरकार द्वारा किसानों की खुशहाली के लिए किये जा रहे प्रयासों का पता इस बात से चलता है कि कोरोना काल के दौरान भी गेहूं क्रय केन्द्र निरन्तर संचालित किये गये और प्रदेश की सभी 119 चीनी मिलें भी संचालित की गयीं।
वर्ष 2004 से 2017 के बीच जितने गन्ना मूल्य का भुगतान किया गया, उससे अधिक गन्ना मूल्य का भुगतान विगत साढ़े तीन वर्षाें में किया गया है। आज किसानों का भुगतान डीबीटी के माध्यम से किया जा रहा है। गन्ना किसानों को पर्ची मोबाइल पर मिल रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि केन्द्र सरकार द्वारा कृषि कानूनों के सम्बन्ध में किसानों से भी राय ली गयी है। कुछ लोग किसान आन्दोलन के माध्यम से किसानों को भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं, जबकि केन्द्र और राज्य सरकार द्वारा किसानों की आय में वृद्धि के सभी प्रयास किये जा रहे हैं।
प्रदीप
जारी वार्ता