नयी दिल्ली 04 अप्रैल (वार्ता) उपराष्ट्रपति एम.वेंकैया नायडू ने आज लोगों से अपनी मातृभाषा को बढ़ावा देने के लिए राष्ट्रीय आंदोलन करने का आह्वान किया और कहा कि केंद्र और राज्य सरकारों, शिक्षाविदों और स्कूल प्रशासनों को मातृभाषाओं में प्राथमिक और उच्च शिक्षा प्रदान करनी चाहििए।
श्री नायडू ने यहां प्राचीन भाषाओं के विद्वानों को ‘राष्ट्रपति सम्मान प्रमाण-पत्र’ और ‘महर्षि बद्रायन व्यास सम्मान’ प्रदान करने के बाद जोर देकर कहा कि प्राचीन भारतीय भाषाओं का संवर्धन और संरक्षण समय की मांग है क्योंकि ये राष्ट्र की प्राचीन सभ्यताओं से जुड़े मूल्यों, ज्ञान और विवेक के लिए बेहतर सूझबूझ प्रदान करती हैं। उन्होेंने कहा, “जब एक भाषा लुप्त होती है, पूरी संस्कृति खत्म हो जाती है। भाषाओं सहित अपनी सांस्कृतिक विरासत की रक्षा करना हमारा संवैधानिक कर्तव्य है।”
उप राष्ट्रपति ने कहा कि अध्ययनों के अनुसार करीब 600 भाषाएं समाप्त होने के कगार पर हैं और 250 से अधिक भाषाएं पिछले 60 वर्षों में लुप्त हो चुकी हैं। आधुनिक भारतीय भाषाओं की जड़ें पुरानी हैं और एक तरीके से उन्हें प्राचीन भाषाओं से निकाला गया है। उन्होंने चेतावनी दी, “यदि हम इस संपर्क को बचाकर नहीं रखेंगे तो हम विरासत में प्राप्त इस खजाने की बहुमूल्य चाबी खो देंगे।”
भाषाओं के संरक्षण और विकास के लिए बहुद्देश्यीय दृष्टिकोण की आवश्यकता पर बल देते हुए श्री नायडू ने कहा कि इसकी शुरूआत प्राइमरी स्कूल के स्तर पर होनी चाहिए और इसे शिक्षा के उच्च स्तर तक जारी रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि कम से कम एक भाषा में कामकाजी साक्षरता सुनिश्चित होनी चाहिए।