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मुन्ना मास्टर ने कवि रसखान की परम्परा को आगे बढ़ाया

मुन्ना मास्टर ने कवि रसखान की परम्परा को आगे बढ़ाया

जयपुर, 26 जनवरी (वार्ता) 71वें गणतंत्र दिवस पर पद्मश्री से सम्मानित राजस्थान में जयपुर के बगरू तहसील के भजन गायक और भक्ति गीत के लिये प्रसिद्ध रमजान खां उर्फ मुन्ना मास्टर ने कवि रसखान की परम्परा को आगे बढ़ाया है।

मुन्ना मास्टर हाल ही में चर्चा में आये बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में नियुक्त सहायक प्रोफेसर फिरोज खान के पिता हैं। वह भगवान श्रीकृष्ण और गाय पर भक्ति गीत के लिये मशहूर हैं। इसके जरिए वह कवि रसखान का अनुसरण करके उनकी परम्परा को ही आगे बढ़ा रहे हैं।

पद्मश्री मिलने से प्रफुल्लित प्रो़ फिरोज खान ने इसे अल्लाह का करम बताया है। श्री खान ने बताया कि उनके परिवार को संगीत और संस्कृत के संस्कार उनके दादा संगीत विशारद गफूर खान से मिला। उन्होंने परिवार को इसके लिये प्रेरित किया। पिता को यह सम्मान मिलने से उनका परिवार बेहद गौरवान्वित महसूस कर रह है।

उधर पद्मश्री मिलने पर मुन्ना मास्टर ने इसे अकल्पनीय बताया। उन्होंने कहा, ‘मैंने सपने में भी इतने बड़े सम्मान के बारे में नहीं सोचा था। गौमाता की सेवा और कृपा से ही ऐसा संभव हुआ है।’ मुन्ना मास्टर ने इसका श्रेय अपने पिता पिता गफूर खान को दिया।

मुन्ना मास्टर के चार पुत्र वकील, शकील, फिरोज और वारिस हैं और चारों ने ही संस्कृत पढ़ी है। उनकी बड़ी बेटी का नाम अनीता है। छोटी पुत्री का नाम लक्ष्मी रखा है। घर की दीवारों पर कृष्ण की तस्वीरें लगी हैं। मुन्ना मास्टर गोशाला के मंदिर में संकीर्तन करते हैं। उन्होंने श्याम सुरभि वंदना नामक भजन पुस्तिका भी लिखी है। उन्हें पद्मश्री सम्मान मिलने की सूचना पर उनके गांव में जश्न का माहौल है।

सुनील जोरा

वार्ता

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