लखनऊ, 10 जून (वार्ता) उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाईक ने पांच दिवसीय चित्रकला कार्यशाला का समापन करते हुए सभी कलाकारों सम्मानित किया।
ललित कला अकादमी, राष्ट्रीय कला संस्थान, नई दिल्ली तथा संस्कार भारती उत्तर प्रदेश के संयुक्त तत्वावधान में राजभवन में छह जून से पांच दिवसीय कला कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसमें कलाकारों ने मुख्यतः राज्यपाल एवं राजभवन की इमारत के चित्र बनाये थे।
श्री नाईक ने सोमवार को चित्रकला कार्यशाला के समापन के मौके सभी कलाकारों को अंग वस्त्र, प्रमाण पत्र, रूपये पांच-पांच हजार की धनराशि बतौर यादगार तथा अपनी पुस्तक ‘चरैवेति!चरैवेति!!’ देकर सम्मानति किया।
इस मौके पर राज्यपाल ने कहा कि ‘मेरा फोटो सुंदर है पर यदि मैं और सुंदर होता तो चित्र भी ज्यादा सुंदर होता।’ सभी कलाकारों ने चित्रकारी में अपनी असीमित कल्पना शक्ति का प्रयोग करके सुंदर चित्र बनाये हैं।
उन्होंने कहा कि भारत की पहचान विश्व में कला से है। भारत में कला का समृद्ध इतिहास रहा है। हमारे देश में 64 कलायें विद्यमान हैं। इस गौरवशाली परम्परा को आज भी गुफाओं में देखा जा सकता है।
श्री नाईक ने कहा कि 22 जुलाई 2014 को जब उन्होंने राज्यपाल के पद की शपथ ली थी तो उन्होंने राजभवन के दरवाजे सभी के लिये खोलकर उसे ‘लोकभवन’ बनाने की बात कही थी। गत पांच साल में 30 हजार से ज्यादा लोगों से उन्होंने राजभवन में भेंट की। राजभवन वास्तव में केवल राज्यपाल का ही नहीं बल्कि पूरे समाज का है। उन्होंने कहा कि राजभवन की सुंदरता चित्रों के माध्यम से और सुंदर होकर बाहर आयी है।
त्यागी
जारी वार्ता