भुवनेश्वर, 16 अक्टूबर (वार्ता) ओडिशा के नंदनकानन प्राणि उद्यान में मंगलवार को श्वेत बाघ सुभ्रांशु की रक्त संबंधी प्रोटोजोआ रोग के कारण मौत हो गयी।
चिड़ियाघर के उप निदेशक जयंत कुमार दास ने बताया कि सुभ्रांशु बाघ की रक्त प्रोटोजोआ बीमारी से मौत होने की आशंका जतायी गयी है। बुधवार को हुए पोस्टमार्टम की रिपोर्ट से पता चला कि इस बीमारी से बाघ के यकृत और आंत में रक्त स्राव हो गया था जिसके कारण रक्त के आंतरिक हिस्सों में फैल जाने से शरीर को नुकसान हुआ था।
उन्हाेंने कहा कि प्रयोगशाला में पोस्टमार्टम के दौरान इकट्ठे किये गये नमूनों से इस बीमारी की पहचान हुई है। सुभ्रांशु नामक यह बाघ चिड़ियाघर का मुख्य आकर्षण था।
उन्होंने कहा कि मृत बाघ के अंगों के नमूने रोग की पुष्टि के लिए भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान, बरेली और चेन्नई भेजे जाएंगे। इसके साथ ही इसे सेंटर फॉर वाइल्ड लाइफ हेल्थ, ओयूएटी, भुवनेश्वर में सुरक्षित रखा जायेगा।
इस बीच, चिड़ियाघर प्राधिकरण ने बाघ के बाड़े की सफाई करनी शुरू कर दी है। बाड़े की दीवार 10 फुट ऊंची दीवार पर दोनों ओर स्प्रे किया जा रहा है।
श्री दास ने कहा कि टिक बीमारी के उन्मूलन के वैकल्पिक उपचार के लिए पैथोलॉजिस्टों से परामर्श करने के लिए कदम उठाए जा रहे हैं।
सुभ्रांशु की मौत के बाद चिड़ियाघर में लगातार शेरों और बाघ के रक्त के नमूनों की जांच की जा रही है। सुभ्रांशु की मौत से अब चिड़ियाघर में बाघों की संख्या 25 रह गयी है जिसमें से 12 नर और 13 मादा हैं।
उप्रेती.श्रवण
वार्ता