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'बात कम, काम ज्यादा' की नीति पर चलने वाले हैं नरेंद्र सिंह तोमर

'बात कम, काम ज्यादा' की नीति पर चलने वाले हैं नरेंद्र सिंह तोमर

भोपाल, 30 मई (वार्ता) केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में आज शपथ लेने वाले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता नरेंद्र सिंह तोमर 'बात कम और काम ज्यादा' की नीति पर विश्वास कर आगे बढ़ने वाले नेताओं में शुमार हैं।

मध्यप्रदेश के ग्वालियर जिले के मुरार में किसान परिवार में जन्मे श्री तोमर लगातार दूसरी बार केंद्रीय मंत्री बने हैं। वे 2014 में पहली बार केंद्रीय मंत्री बने थे और निवर्तमान सरकार में इस्पात एवं खान विभाग के मंत्री थे। नपे तुले शब्दों में अपनी बात रखने वाले श्री तोमर की प्रगति में यह खूबी भी बहुम काम आती है।

इकसठ वर्षीय श्री तोमर जीवाजी विश्वविद्यालय ग्वालियर से स्नातक की शिक्षा प्राप्त हैं। उनके दो पुत्र और एक पुत्री है। छात्र जीवन से राजनीति में सक्रिय रहे श्री तोमर पहली बार वर्ष 1979 80 में मुरार शासकीय महाविद्यालय में छात्र संघ अध्यक्ष चुने गए। इसके बाद ग्वालियर नगर निगम में 1983 से 1987 तक पार्षद चुने गए। इस समय तक वे भारतीय जनता पार्टी से जुड़ गए थे और फिर उन्होंने कभी भी पीछे पलट कर नहीं देखा।

वर्ष 1991 से 96 तक भारतीय जनता युवा मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रह चुके श्री तोमर मध्यप्रदेश में दिसंबर 2003 में बनी भाजपा सरकार में पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री (कैबिनेट) बने। वे नवंबर 2006 में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बने। राज्य में तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान और प्रदेश अध्यक्ष के रूप में श्री तोमर की जोड़ी राजनीति में काफी चर्चित और सफल मानी जाती थी।

श्री तोमर जनवरी 2009 में मध्यप्रदेश से राज्यसभा के लिए निर्विरोध निर्वाचित हुए। वे वर्ष 2009 के लोकसभा चुनाव में मुरैना से पहली बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए। श्री तोमर इसके बाद मार्च 2010 में भाजपा के राष्ट्रीय महासचिव बने और केंद्रीय राजनीति में भी सक्रिय रहने लगे। दिसंबर 2012 में एक बार फिर उन्हें भाजपा प्रदेश अध्यक्ष का दायित्व सौंपा गया। इसके बाद वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में वे ग्वालियर संसदीय क्षेत्र निर्वाचित हुए और नरेंद्र मोदी सरकार में कैबिनेट मंत्री बने।

श्री तोमर हाल में संपन्न सत्रहवें लोकसभा चुनाव में लगातार तीसरी बार लोकसभा के लिए निर्वाचित हुए हैं। इस बार उन्होंने ग्वालियर के स्थान पर मुरैना से चुनाव लड़ा। उम्मीद की जा रही है कि वे नयी सरकार में कैबिनेट मंत्री के रूप में एक बार फिर महत्वपूर्ण विभाग की जिम्मेदारी संभालेंगे।

प्रशांत

वार्ता

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