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देश में सबसे ज्यादा आवश्यकता प्राकृतिक खेती की है: देवव्रत

देश में सबसे ज्यादा आवश्यकता प्राकृतिक खेती की है: देवव्रत

गांधीनगर, 07 अगस्त (वार्ता) गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने बुधवार को कहा कि देश में सबसे ज्यादा आवश्यकता प्राकृतिक खेती की है।

गांघीनगर स्थित राजभवन के महर्षि दयानन्द सभामंडप में राज्य के कृषि विशेषज्ञों के साथ प्राकृतिक कृषि परिसंवाद में श्री देवव्रत अधिकारियों को प्राकृतिक कृषि का दायरा बढ़ाने के मिशन में शामिल होने के लिए उत्साहित किया और कहा गुजरात- कृषि विभाग के सभी प्रभागों के तमाम अधिकारी और कर्मचारी प्राकृतिक खेती के लिए किसानों को प्रशिक्षित करने के कार्य में शामिल होंगे।

उन्होंने कहा कि आज देश में सबसे ज्यादा आवश्यकता प्राकृतिक खेती की है। देश आजाद हुआ तब अन्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता के लिए उस समय के कृषि वैज्ञानिकों ने एक हेक्टेयर भूमि में 13 किलो नाइट्रोजन का छिड़काव करने की हिमायत की थी। आज भी हम एक एकड़ में 13 बैग भरकर रासायनिक खाद डाल रहे हैं। यूरिया, डीएपी. और कीटनाशक दवाओं का उपयोग जैसे जैसे बढ़ रहा है, वैसे- वैसे गम्भीर रोगों का प्रमाण भी बढ़ा है। रासायनिक खाद की मात्रा बढ़ाने से उत्पादन में वृद्धि नहीं होने वाली है। जमीन की उर्वरकता बढ़ानी होगी और यह मात्र और मात्र प्राकृतिक खेती से ही सम्भव है।

श्री देवव्रत ने कहा कि गुजरात में अभी 9,71,270 किसान 7,92,989 एकड़ जमीन पर प्राकृतिक खेती कर रहे हैं। सभी के सामूहिक प्रयत्नों से आगामी एक ही वर्ष में गुजरात में अन्य 10 लाख किसान भी प्राकृतिक खेती करने लगें, इसके लिए मिशन मोड पर 'मिशनरी' कार्य करना है। प्राकृतिक खेती के लिए किसानों को प्रेरित और प्रोत्साहित करने के लिए तालीम अनिवार्य है। राज्यपालश्री ने अनुरोध किया कि कृषि विभाग के तमाम प्रभागों के तमाम अधिकारी और राज्य की कृषि युनिवर्सिटियों के कृषि वैज्ञानिक इस कार्य में सहयोग प्रदान करें।

राज्यपाल ने सभी अधिकारियों को प्राकृतिक कृषि का विस्तृत प्रशिक्षण दिया। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्रभाई मोदी के मार्गदर्शन के तहत समग्र देश प्राकृतिक खेती के विषय में जानने के लिए और प्राकृतिक खेती करने के लिए तत्पर है, ऐसे में नेतृत्व गुजरात को करना है। अगस्त के आरम्भ में राष्ट्रपति भवन में आयोजित राज्यपालों के सम्मेलन में भी प्राकृतिक कृषि का मुद्दा चर्चा में रहा है। इतना ही नहीं, राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मु ने भी तमाम राज्यपालों से प्राकृतिक खेती का दायरा बढ़ाने के लिए गुजरात मॉडल अपनाने का अनुरोध किया।

उन्होंने कहा कि हमारे बालकों को हम बंजर जमीन देकर जाएंगे? किसानों को कर्ज के बोझ में दबाकर जाएंगे। अगर यह हालात बदलने हैं तो प्राकृतिक खेती अपनाये बगैर नहीं चलेगा। प्राकृतिक खेती नाम एक है लेकिन अनेक समस्याओं का उपाय भी यही है। उन्होंने कहा कि किसान शनै-शनै प्राकृतिक खेती अपना रहे हैं। परिवर्तन आएगा, इसके लिए अभी से पहल करनी होगी। उन्होंने किसानों को अपनी थोड़ी जमीन में भी प्राकृतिक खेती की शुरुआत करने की अपील की है।

इस अवसर पर मुख्यमंत्री भुपेन्द्रभाई पटेल और कृषि मंत्री राघवजीभाई पटेल भी उपस्थित रहे।

वहीं, पटेल ने गुजरात के कृषि विशेषज्ञों को सम्बोधित करते हुए कहा कि प्राकृतिक खेती प्रधानमंत्री का मिशन है और गुजरात सरकार का भी मिशन है। उन्होंने कहा कि गुजरात का प्रत्येक किसान रासायनिक खेती छोड़कर प्राकृतिक कृषि पद्धति अपनाए, यह हमारा लक्ष्य है। इसके लिए सभी के सामूहिक प्रयास जरूरी हैं। उन्होंने कहा कि प्राकृतिक खेती के लिए मिशन मोड पर कार्य करने की आवश्यकता है। वैज्ञानिक संशोधनों के परिणाम अत्यंत प्रोत्साहक हैं। तब, प्रत्येक किसान को जल्द से जल्द प्राकृतिक खेती अपनानी चाहिए और यही समय की मांग है। आज के समय में जमीन की उर्वरकता घट रही है। भूमि अनुपजाऊ बन रही है। प्राकृतिक खेती के बगैर अन्य कोई विकल्प जमीन को बचा नहीं सकेगा।

उन्होंने कहा कि आज गांव में 24 घंटे बिजली पहुंचेगी, यह किसी ने सोचा नहीं था। लेकिन प्रधानमंत्री का संकल्प था कि गुजरात के गांव-गांव में 24 घंटे बिजली पहुंचानी है। यह संकल्प प्रधानमंत्री जी ने पूरा किया। अब दूसरा संकल्प प्रधानमंत्री का यह है कि प्राकृतिक कृषि का दायरा देशभर में बढ़े। इस दिशा में भारत आज आगे बढ़ रहा है। गुजरात में राज्यपालश्री आचार्य देवव्रतजी की अगवानी में गुजरात प्राकृतिक कृषि क्षेत्र में देश में प्रथम स्थान पर रहा है। उन्होंने भरोसा जताया कि गुजरात, आने वाले समय में राज्यपालश्री आचार्य देवव्रतजी की अगवानी में प्राकृतिक कृषि क्षेत्र में अन्य राज्यों के लिए मॉडल साबित होगा।

राज्य के कृषि मंत्री राघवजीभाई ने इस परिसंवाद में कहा कि प्राकृतिक कृषि पद्धति का दायरा बढ़ाने के लिए कृषि विभाग परिणामलक्ष्यी प्रयत्न कर रहा है। प्राकृतिक खेती का दायरा बढ़ रहा है। परिणाम स्वरूप गत वर्ष गुजरात में रासायनिक खाद के उपयोग में कमी आई है। आज गुजरात में राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत के मार्गदर्शन और मुख्यमंत्री श्री पटेल के नेतृत्व में प्राकृतिक खेती का दायरा बढ़ रहा है। राज्य में परम्परागत मेलों, कृषि मेलों और अन्य प्रयत्नों द्वारा किसानों को प्राकृतिक खेती के संबंध में जानकारी दी जा रही है। केन्द्रीय बजट में देश के एक करोड़ किसानों को प्राकृतिक खेती में लाने का संकल्प केन्द्र सरकार ने किया है। गुजरात में प्राकृतिक कृषि के शिक्षण के लिए देश की प्रथम नेचुरल फार्मिंग साइंस युनिवर्सिटी हालोल-पंचमहाल में कार्यरत है। आनेवाले समय में ज्यादा से ज्यादा किसान प्राकृतिक खेती अपनाएं, ऐसी आशा श्री पटेल ने जतायी।

प्राकृतिक कृषि परिसंवाद में कृषि राज्यमंत्री बचुभाई खाबड, कृषि-सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग के सचिव सन्दीप कुमार, संयुक्त सचिव पीडी. पलसाणा, राज्य की कृषि युनिवर्सिटियों के कुलपति, कृषि के साथ संलग्न प्रभागों के निदेशक, कृषि विभाग के अधिकारी, आत्मा के अधिकारी, पशुपालन विभाग और बागायत विभाग के अधिकारी, कृषि विज्ञान केन्द्र के कृषि वैज्ञानिक और प्राकृतिक कृषि के जिला संयोजक उपस्थित रहे।

कार्यक्रम में प्राकृतिक कृषि विज्ञान विश्वविद्यालय के एक वर्ष के कामकाज की वार्षिक रिपोर्ट का विमोचन राज्यपाल श्री आचार्य देवव्रत और मुख्यमंत्री श्री पटेल के करकमलों द्वारा किया गया। परिसंवाद में कृषि विशेषज्ञों द्वारा प्राकृतिक कृषि संबंधी अपने अनुभवों की जानकारी दी गई।

अनिल,संतोष

वार्ता

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