मनोरंजनPosted at: Dec 25 2020 5:06PM सर्वश्रेष्ठ संगीतकार का फिल्मफेयर पुरस्कार पाने वाले पहले संगीतकार थे नौशाद
..जन्मदिवस 25 दिसंबर के अवसर पर ..
मुंबई, 25 दिसंबर (वार्ता) लगभग छह दशक तक अपने संगीत से श्रोताओं को मंत्रमुग्ध करने वाले नौशाद पहले संगीतकार हुये, जिन्हें सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
वर्ष 1953 में प्रदर्शित फिल्म बैजू बावरा के लिये नौशाद सर्वश्रेष्ठ संगीतकार के रूप में सम्मानित किये गये।यह भी चौंकाने वाला तथ्य है कि इसके बाद उन्हें कोई फिल्मफेयर पुरस्कार नहीं मिला। भारतीय सिनेमा में उनके महत्वपूर्ण योगदान को देखते हुये उन्हें दादा साहब फाल्के पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया।
लखनऊ के एक मध्यमवर्गीय रूढिवादी मुस्लिम परिवार में 25 दिसम्बर 1919 को जन्में नौशाद का बचपन से ही संगीत की तरफ रुझान था और अपने इस शौक को परवान चढ़ाने के लिए वह फिल्म देखने के बाद रात में देर से घर लौटा करते थे। इस पर उन्हें अक्सर अपने पिता की नाराजगी झेलनी पडती थी। उनके पिता हमेशा कहा करते थे कि तुम घर या संगीत में से एक को चुन लो। एक बार की बात है कि लखनऊ में एक नाटक कम्पनी आई और नौशाद ने आखिरकार हिम्मत करके अपने पिता से बोल ही दिया..आपको आपका घर मुबारक मुझे मेरा संगीत।इसके बाद वह घर छोडकर उस नाटक मंडली में शामिल हो गए और उसके साथ जयपुर, जोधपुर, बरेली और गुजरात के बडे शहरों का भ्रमण किया।
नौशाद अपने एक दोस्त से 25 रुपये उधार लेकर 1937 में संगीतकार बनने का सपना लिये मुंबई आ गये। मुंबई पहुंचने पर नौशाद को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। यहां तक कि उन्हे कई दिन तक फुटपाथ पर ही रात गुजारनी पड़ी ।इस दौरान नौशाद की मुलाकात निर्माता कारदार से हुयी जिन की सिफारिश पर उन्हें संगीतकार हुसैन खान के यहां चालीस रूपये प्रति माह पर पियानो बजाने का काम मिला । इसके बाद संगीतकार खेमचंद्र प्रकाश के सहयोगी के रूप में नौशाद ने काम किया।
प्रेम सुुरज
जारी वार्ता