नयी दिल्ली, 10 मई (वार्ता) आयुष मंत्रालय के सचिव राजेश कोटेचा ने कहा है कि आयुष अनुसंधान से युवाओं को जोड़ने की आवश्यकता है और इसका लाभ देश दुनिया को मिलेगा।
श्री कोटेचा ने बुधवार को यहां अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान और केन्द्रीय आयुर्वेदीय विज्ञान अनुसंधान परिषद् के एक ‘आयुष में अनुसंधान और शिक्षा सम्मेलन’ को संबोधित करते हुए कहा कि आयुष के क्षेत्र में विशेष अनुसंधान किये जाने चाहिए। युवाओं काे आयुष अनुसंधान एवं शिक्षा से जोड़ने के तौर तरीके खोजे जाने चाहिए। आयुष का अनुसंधान आधुनिक चिकित्सा समस्याओं के समाधान के लिए किया जाना चाहिए।
अखिल भारतीय आयुर्वेद संस्थान की निदेशक डॉ तनुजा नेसरी ने कहा कि प्रशासकों, नीति निर्माताओं, शिक्षा विशेषज्ञों, शोधकर्ताओं और प्रतिष्ठित वैज्ञानिकों को एकजुट होकर आयुष अनुसंधान पर जोर देना चाहिए और एक-दूसरे के साथ अपने अनुभव साझा करने चाहिए। इससे अनुसंधान आधारित आयुर्वेद को विकसित करने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद में बहुत क्षमता है और ये आने वाले समय में बहुत ऊंचाइयों तक जाएगा। कोविड के समय में आयुष प्रणाली ने चीनी चिकित्सा प्रणाली की तुलना में अधिक काम किया है।
सम्मेलन में सभी आयुष राष्ट्रीय संस्थानों, अनुसंधान परिषदों के प्रमुखों और एमओए के सलाहकारों, एनसीएसआईएम और एनसीएच के अध्यक्ष सहित पांच नव-प्रतिष्ठित नियुक्त वैज्ञानिक और मुख्य अतिथियों में आयुष प्रतिष्ठित वैज्ञानिक अध्यक्ष डॉ. नंदिनी के. कुमार (अंतःविषय नैदानिक अनुसंधान), डॉ. अरविंद चोपड़ा, (सार्वजनिक स्वास्थ्य और महामारी विज्ञान), डॉ. शर्मिला शेखर मांडे (आयुर्वेद बायोलॉजी एंड बेसिक साइंसेज), डॉ. मधु दीक्षित (फार्मास्युटिकल ड्रग डेवलपमेंट) और डॉ. बी.एन. गंगाधर (चेतना और संज्ञानात्मक विज्ञान) आयुष प्रतिष्ठित वैज्ञानिक अध्यक्षों ने भाग लिया।
सम्मेलन का मुख्य उद्देश्य वैचारिक मंथन और अकादमिक और अनुसंधान के मार्ग में अध्यक्षों की विशेषज्ञता और अनुभव से लाभ उठाते हुए लक्ष्य निर्धारित करना रहा। प्रतिभागियों ने स्नातक और स्नातकोत्तर दोनों स्तरों पर आयुष कॉलेजों में अनुसंधान शैक्षिक पारिस्थितिकी तंत्र पर चर्चा की। यह आयुष क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास, शिक्षा और क्षमता निर्माण पर केंद्रित था।
सत्या.श्रवण
वार्ता