दरभंगा, 28 नवम्बर (वार्ता) राष्ट्रीय संस्कृत संस्थान, नई दिल्ली के कुलपति प्रो0 पी0 एन0 शास्त्री ने संस्कृत के प्रति भ्रांतियों को दूर करने की जरूरत पर बल देते हुए आज कहा कि संस्कृत भाषा के प्रति कई तरह की भ्रांति से देववाणी को नुकसान हो रहा है।
श्री शास्त्री ने यहां कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय के आयोजित सातवें दीक्षांत समारोह के मुख्य अतिथि के तौर पर बोलते हुए कहा कि इन दिनों संस्कृत भाषा के प्रति कई जानी- अनजानी भ्रांतियां समाज में फैल गयी हैं। इससे देववाणी को नुकसान हो रहा है। संस्कृत में प्रतिपादित मौलिक विचारों को जनमानस तक पहुंचाने की जरूरत है ताकि व्याप्त भ्रांतियां एवं आशंकाएं निर्मूल हो सके और संस्कृत भी निर्बाध गति से फल-फूल सके।
कुलपति ने कहा कि संस्कृत में हो रहे शोध कार्यों से निकले नए-नए तथ्यों को विभिन्न माध्यमों के जरिये देश-विदेशों में प्रचारित-प्रसारित करने की नितांत जरूरत है। इन माध्यमों में दूरदर्शन, इंटरनेट, पत्र पत्रिकाएं समेत अन्य संसाधनों का भरपूर उपयोग किया जा सकता है।
सं.सतीश
जारी वार्ता