वाराणसी,02 मार्च (वार्ता) उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने संस्कृत को भारतीय संस्कृति की आत्मा एवं इस देश की सभी भाषाओं की पोशिका बताते मंगलवार यहां कहा कि नई शिक्षा नीति इसके गूढ़ रहस्यों को सरल भाषा में आम लोगों तक पहुंचाने में मददगार साबित होगी।
श्रीमती पटेल वाराणसी के संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय के 38वें एवं महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ के 42वें दीक्षांत को संबोधित करते हुए संस्कृति एवं नई शिक्षा नीति के महत्व पर विस्तार से चर्चा की। काशी विद्यापीठ समारोह के मुख्य अतिथि विज्ञान प्रौद्योगिकी मंत्रालय के सचिव प्रो. आशुतोष शर्मा वर्चुअल माध्यम से शामिल हुए।
विश्वविद्यालय की कुलाधिपति श्रीमती पटेल ने संस्कृति विश्वविद्यालय चुनिंदा विद्यार्थियों को यहां के मुख्य ऐतिहासिक भवन में आयोजित समारोह में जबकि विद्यापीठ के छात्र-छात्राओं को यहां के सभागार में में आयोजित दोनों समारोहों पदक एवं प्रमाण पत्र देकर सम्मानित किया तथा उनसे भारतीय भावना के अनुरूप शिक्षा के प्रसार में अपनी भूमिकाएं निभाने की अपील की।
उन्होंने संस्कृति विश्वविद्यालय दीक्षांत समारोह की अध्यक्षता करते हुये कहा कि संस्कृत भाषा समस्त भारतीय भाषाओं की पोशिका होने के कारण यह भारत की संस्कृति की मूल आत्मा है। नई शिक्षा नीति में संस्कृत को मूल रूप से रखा गया ताकि इस शास्त्र के गूढ़ रहस्यों को सरल भाषा में परिवर्तित कर जनसमान्य सामने लाने का प्रयास हो सके। संस्कृत एवं सनातन धर्म एक दूसरे से जुड़े हुए हैं।
श्रीमती पटेल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खुहाल गांव, टीबी एवं कुपोषण मुक्त भारत के संकल्पों की चर्चा करते हुए विश्वविद्यालय परिवार से एक गांव एवं टीबी मरीजों को गोद लेने की अपील की।
संस्कृति विश्वविद्यालय समारोह के मुख्य अतिथि विदेश मंत्रालय के अपर सचिव अखिलेश मिश्र ने कहा कि संस्कृत का अध्ययन एक व्यक्ति अगर करता है तो वह समस्त विश्व को अलंकृत करता है। उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा में ही विरोधाभाषी गुणों को समरसता मिलती हैं। संस्कृत देश की सांस्कृतिक आत्मा की रक्षा वैसे ही करती है जैसे देश का सैनिक देश की रक्षा करता है। विद्यार्थियों की हौसला आफजायी करते हुए उन्होंने कहा कि गर्व होना कि भारत के इस गौरवशाली विश्वविद्यालय के पढ़ाई की है।
संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजाराम शुक्ल कहा कि विश्वविद्यालय एवं मारीशस और नेपाल के बीच शैक्षणिक समझौता हुआ। इसी के साथ दुनियाँ के अन्य देशों के साथ शैक्षणिक समझौते की बात चल रही है। विश्वविद्यालय को तकनीकी रूप से सक्षम बनाने के लिये टीसीएस कंपनी से समझौता हुआ है जो कम्प्यूटर और अंग्रेजी में दक्ष विद्याथर्रियों को रोजगार के लिये प्रशिक्षित करेंगे। विश्वविद्यालय के खेल प्रांगण को रिलायंस कंपनी के सहयोग विश्व स्तरीय सुविधायें उपलब्ध करायी जायेंगी जिससे यहां के खिलाड़ियों का सर्वांगिण विकास हो सके।
प्रो. शुक्ल ने बताया कि इस वर्ष 17, 244 छात्र-छात्राओं को उपाधियां एवं प्रमाण पत्र दिए गये। संस्कृत विश्वविद्यालय की मानद उपाधि महामहोपाध्याय विश्वविद्यालय के पूर्व आचार्य एवं उत्कृष्ट विद्वान पदमश्री प्रो0 रामयत्न शुक्ल को दिया गया। समारोह में 29 छात्र-छात्राओं को विभिन्न प्रकार के 57 पदक प्रदान किए गए। आचार्य कक्षा में सर्वोच्च अंक प्राप्त करने वाली कुमारी मीना देवी को 10 स्वर्ण, सुमित्रा नंदन चतुर्वेदी एवं आशुतोष कुमार मिश्र को 5-5 स्वर्ण, भुवनेश्वर चैतन्य को चार स्वर्ण पदक, छविरमन भट्टाराई, शुभम पांडेय एवं सूर्यसेन पांडेय को तीन-तीन स्वर्ण पदक प्रदान किए गए।
उधर, काशी विद्यापीठ में कुलाधिपति ने दो खिलाड़ियां समेत 60 छात्र-छात्राओं को स्वर्ण पदक से सम्मानित किया। यहां कुल 81,612 उपधियां दी गईं। इनमें से 40 पीएडी एवं एक डीलिट की उपाधि शामिल हैं।
बीरेंद्र
वार्ता